आखिर कैसे डूब गया 'कभी न डूबने वाला' टाइटैनिक जहाज, जानें क्या हुआ था उस वक़्त

रॉयल मेल शिप (RMS) टाइटैनिक (Titanic) को डूबे हुए एक सदी से ज्यादा हो चुका है

Update: 2021-04-15 14:39 GMT

रॉयल मेल शिप (RMS) टाइटैनिक (Titanic) को डूबे हुए एक सदी से ज्यादा हो चुका है. ब्रिटेन के साउथैम्पटन (Southampton) से न्यूयॉर्क सिटी (New York city) के लिए अपनी मनहूस यात्रा पर निकला टाइटैनिक उत्तरी अटलांटिक (North Atlantic) में एक आइसबर्ग से टकराकर डूब गया. अटलांटिक इस जहाज के लिए एक ठंडा कब्रिस्तान बनकर उभरा. उस समय का दुनिया के सबसे बड़े जहाज की 14 अप्रैल 1912 की आधी रात एक आइसबर्ग से टक्कर हो गई. इस तरह घंटों तक चले जद्दोजहद के बाद 15 अप्रैल को ये जहाज पूरी तरह से जलमग्न हो गया. इस हादसे में 1500 से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई.

टाइटैनिक का डूबना समुद्री इतिहास की कुछ सबसे बड़ी आपदाओं में से एक है. इस हादसे की 109वीं बरसी आज ही है. ऐसे में आइए इस जहाज के बारे में कुछ फैक्ट्स और टाइटैनिक के डूबने के दौरान इसके साथ आखिरी क्षणों में क्या हुआ इसे जाना जाए. टाइटैनिक को उस समय एक तैरते हुए शहर की उपाधि दी गई थी. इस जहाज की लंबाई देखकर उस समय लोग हैरान हो उठे हैं. इसके पीछे की वजह जहाज का विशालकाय आकार था, जो उस समय का सबसे बड़ा समुद्री जहाज था. टाइटैनिक को लेकर बाद में एक फिल्म भी बनी, जो दुनिया की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक है.
बढ़ते समुद्री यात्राओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया टाइटैनिक
टाइटैनिक का निर्माण समुद्री यात्रा के एक सुनहरे युग के दौरान किया गया था. जहाज को अन्य क्रूज लाइनरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए डिजाइन किया गया था. 20वीं सदी के इस दौर में प्रवासियों और अमीर यात्रियों की संख्या बढ़ रही थी. ये लोग यूरोप से न्यूयॉर्क के बीच व्यापार किया करते थे. इस दौरान क्रूज लाइनरों पर बड़ी संख्या में लोगों के खानपान का ख्याल रखा जाता है. ऐसे में टाइटैनिक को इन जहाजों से टक्कर लेनी थी और इसे बनाने वाली कंपनी ने इसमें हर एक सुविधाएं भी दीं.
टाइटैनिक को बनाने में खर्च हुआ इतना पैसा
ब्रिटिश शिपिंग कंपनी व्हाइट स्टार लाइन को तीन 'ओलंपिक क्लास' जहाज बनाने का जिम्मा सौंपा गया. इस तरह टाइटैनिक का निर्माण कार्य 31 मार्च 1909 को शुरू हुआ. उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में स्थित हारलैंड एंड वूल्फ शिपयार्ड में इस जहाज को तैयार किया गया. टाइटैनिक को तैयार करने में उस समय 7.5 मिलियन डॉलर का खर्च आया, जो आज के समय 192 मिलियन डॉलर (लगभग 14 अरब रुपये) बैठता है. इस जहाज में 16 वाटरटाइट कंपार्टमेंट थे, जो जहाज में पानी भरने के दौरान बंद हो सकते थे. इस तरह ये जहाज अपने समय से आगे की सोचकर तैयार किया गया.
10 अप्रैल 1912 को शुरू की अपनी यात्रा
दो सालों तक तीन हजार मजदूरों ने लगातार दिन-रात काम किया और टाइटैनिक को तैयार किया. 31 मई 1911 को इस विशालकाय जहाज को लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया. इसे देखने के लिए 10 हजार लोग इकट्ठा हुए. वहीं, 10 अप्रैल 1912 को इसने ब्रिटेन के साउथैम्टन से 2200 यात्रियों के साथ अपनी यात्रा शुरू की. टाइटैनिक एक रॉयल मेल शिप भी था, इसलिए जहाज पर तीन हजार बैग मेल्स भी थे. ऐसा नहीं था कि टाइटैनिक की चर्चा दुनियाभर में सिर्फ इसके आकार को लेकर हो रही थी, बल्कि इसके अंदर जिस-तरह की सुविधाएं दी गई थीं. वो अपने आप में ही शाही अंदाज की थी.
इस तरह डूबा टाइटैनिक
यात्रा के चार दिन बाद 14 अप्रैल को रात 11.40 बजे इसकी टक्कर एक आइसबर्ग (बर्फ का टुकड़ा) से हो गई. टक्कर के बाद शिप का अलार्म तो बजा, लेकिन जब तक इंजन को घुमाकर जहाज को रास्ते से हटाया जाता तब तक टक्कर हो चुकी थी. टक्कर के तुरंत बाद टाइटैनिक में तेजी से पानी भरने लगा. जहाज का अगला हिस्सा अब धीरे-धीरे समुद्र में डूबने लगा. इस दौरान जहाज पर सवार लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल था. टक्कर के करीब तीन घंटे बाद 15 अप्रैल की सुबह 2.20 बजे जहाज का अगला हिस्सा समुद्र के आगोश में समा गया और इसका पिछला हिस्सा ऊपर उठ गया. इसके बाद जहाज के दो टुकड़े हुए और करीब दो घंटे में ये पूरी तरह से समुद्र में डूब गया. इस हादसे में करीब 700 लोगों की ही जान बच पाई, जबकि करीब 1500 लोगों की मौत हो गई.
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