आखिर कैसे महिला डॉ. बनी बॉडीबिल्डर, कहानी जान आपको भी मिलेगी हिम्मत

डॉक्टर्स इंसान के लिए भगवान होते हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है

Update: 2021-05-08 03:20 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | डॉक्टर्स इंसान के लिए भगवान होते हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि काम ज्यादा होने के कारण वो अपनी लाइफ में खुद को फिट नहीं रख पाते। बहुत सारे डॉक्टर्स के साथ ये दिक्कत देखी जाती है। वो लोगों को तो ठीक कर देते हैं लेकिन खुद की फिटनेस कहीं पीछे छूट जाती है। लेकिन हर कोई ऐसा नहीं होता। कुछ होते हैं मिसाल, जिनकी एक-एक बात कानों में जब सुनाई देती है तो हिम्मत आ जाती है। आज एक ऐसी ही डॉक्टर की सच्ची कहानी हम आपको बताने वाले हैं।

पहले बता दें कि इनका नाम डॉ. माया राठौड़ है। Humans Of Bombay ने इनकी कहानी शेयर की है। उन्होंने बताया मैं बचपन में खेलकूद में काफी आगे थी। कैंपस में एथलीट थी। पर मेरे पेरेंट्स कहते रहते थे अगर तुम्हें चोट लग गई तो कौन तुमसे शादी करेगा। बावजूद इसके मैंने ताइक्वांडो और क्रिकेट के लिए भारतनाट्यम छोड़ दिया। जब मैंने डैडी से कहा कि मैं एथलीट बनना चाहती हूं तो उन्होंने कहा तुम एक लड़की हो। तुम्हें अपने प्रोफेशन पर ध्यान देना चाहिए। तो मैं गायनोकोलॉजिस्ट की पढ़ाई करने लगी।
एक बार मेरे सीनियर ने मुझे क्रिकेट में चैलेंज किया। मैंने उसके साथ खेला और जीत गई। शेड्यूल चाहे जैसा भी हो लेकिन मैंने इंडोर गेम्स खेलना नहीं छोड़ा। फिर कॉलेज खत्म। जल्दी ही मेरी शादी हो गई। मैं मां बन गई। कामयाब डॉक्टर बन गई। पर मैंने खुद को खो दिया था। मेरा वजन काफी बढ़ गया था।
एक दिन तो मैं ये सोचकर रो ही पड़ी। मैंने अपने आप से कहा कि ये मैं नहीं हो सकती। फिर मैंने जिम शुरू किया। 20 किलो वजन कम कर लिया। कोच ने कहा कि तुम बॉडीबिल्डिंग क्यों नहीं करती। मुझे वेट उठाना पसंद था तो मैं मान गई। इसके बाद मैंने कई बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताएं अटैंड की। वहां कोई महिला नहीं दिखती थी। मेरे पति ने मेरा साथ दिया। लेकिन पेरेंट्स और ससुराल वालों ने कहा कि बॉडीबिल्डिंग एक मां पर सूट नहीं करती। पर मैं तो अपने लिए ये करना चाहती थी।
सो, मैं ट्रेनिंग शुरू कर दी। अपनी अपनी बेबी को दूध भी पिलाती थी। 36 घंटों तक शिफ्ट में भी रहती थी। पर फिर भी जिम जरूर जाती थी। दो साल लग गए मुझे स्टेज में आने पर। मैं दूसरे नंबर पर आई। फिर मैं स्टेट लेवल पर भाग लेने लगी। 3 वर्ष पहले मैं सिडनी मूव हो गई। अपनी पीएचडी के लिए। मेरी दूसरी बच्ची पैदा हो गई। अगले 8 महीने मैंने खुद को तैयार करना शुरू किया। फिर मैंने IFFB 2021 Australasian Championship जीता।
आज मैं 30 वर्ष की हूं। मैं एक गायनोकोलॉजिस्ट हूं। बीते 8 वर्षों से बॉडी बिल्डिंग कर रही हूं। मैंने नहीं सोचा था कि मैं इतना आगे निकल आउंगी। सच्चाई ये है कि मैं उस चीज को समय दिया जिससे मुझे प्यार था। और लोगों की चिंता करनी बंद की। अपनी च्वाइस को अपनी च्वाइस रखा। मेरे पास एक ही लाइफ है और मैं खुद को सीमित नहीं करना चाहती। मैं मां हूं, डॉक्टर हूं, बॉडीबिल्डिर हूं। और मेरे पास इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है।


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