देश का एक ऐसा मंदिर जो टिका है सिर्फ एक स्तंभ पर

Update: 2024-05-22 14:35 GMT
जरा हट के : देश का एक ऐसा मंदिर जो टिका है सिर्फ एक स्तंभ पर, आखिरी टूटा तो खत्म हो जाएगी दुनिया भारत ऐसे तमाम आश्चर्यों से भरा हुआ है, जिन्हें देखकर वैज्ञानिक भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। कुछ ऐसे निर्माण हुए हैं, जिन्हें किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता है। ऐसी ही एक संरचना भारत में स्थित एक मंदिर है जो चार खंभों पर नहीं बल्कि सिर्फ एक खंभे पर टिका हुआ है। है न आश्चर्यजनक? जो भी इसके बारे में सुनता है उसे ऐसा ही लगता है। आज हम आपको उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं कि यह कहां स्थित है और इसका इतिहास क्या है।
जब-जब प्रकृति और ईश्वर का चमत्कार होता है तो इंसान चौंक जाता है। ऐसी बहुत सी चीजें अपने देश में स्थित हैं, जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है। यहां तक उनके सामने फिजिक्स भी हार मान चुका है और उनके होने का सोर्स नहीं पता कर सका है। हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह भी ऐसा ही है। यह मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है। इसने सभी वैज्ञानिक नियमों को हिलाकर रख दिया है। इसकी सुंदरता भी ऐसी है कि लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं और सालों से यह लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
महाराष्‍ट्र के अहमदनगर में स्थित केदारेश्‍वर गुफा मंदिर। केदारेश्‍वर मंदिर, अहमदनगर ज‍िले में हरिश्‍चंद्र पहाड़ी क‍िले पर स्‍थ‍ित है। यह सालों से लोगों को अपनी ओर आकर्ष‍ित कर रहा है। बेहद सुंदर और अलौकिक है यह मंदिर। इस मंदिर की गुफा का रहस्‍य 11वीं शताब्‍दी से वैसा के वैसा ही बना हुआ है।
क्या है इसका इतिहास?
बताया जाता है कि चमत्कारी मंदिर सालों से स्थित है। ये मंदिर क‍िले के अंदर 4,671 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर को 6वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश द्वारा बनवाया गया था। इस किले की गुफाएं 11वीं शताब्दी में मिली थीं। तब से लेकर आजतक यह लोगों के सामने है। बताया जाता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है।
एक ही खंभे पर खड़ा है यह मंदिर
केदारेश्वर मंदिर के चार स्तंभ हैं। मगर इनमें से सिर्फ एक ही स्तंभ जमीन पर स्थित है। बाकी के तीन हवा में हैं। मंदिर के इन स्तंभों को चार युगों का पर्याय माना जाता है। इस मंदिर के पास तीन गुफाएं स्थित हैं। इसमें दाहिनी गुफा में बर्फ का ठंडा पानी आता है। इसी के बीच में प्राकृतिक रूप से निर्मित 5 फुट का शिवलिंग स्थित है।
मौसम के अनुसार पानी का तापमान
बताया जाता है कि गर्मी के दिनों में शिवलिंग के आसपास का तापमान बदल जाता है। ठंडी में गरम पानी हो जाता है। ऐसे में मौसम के अनुसार पानी का तापमान बदलने से लोग इसे चमत्कार मानते हैं। आध्यात्मिक तौर पर भी इस पानी का महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस पानी में डुबकी लगाने से हमारे पाप धुल जाते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करके जाना होता है। यह मंदिर पहाड़ियों के बीच स्थित है।
हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान क्या कहता है?
हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार, मंदिर के चारों स्तंभ चार युगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग को प्रदर्शित करते हैं। इनमें से तीन स्तंभ गिर चुके हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि तीन युगों की समाप्ति हो चुकी है। अब अगर चौथा स्तंभ गिरता है तो यह दुनिया (कलियुग) समाप्त हो जाएगी। यह भी मान्यता है कि ये सभी स्तंभ बदलते युग के अनुसार अपनी ऊंचाई बदलते रहते हैं।
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