एक ऐसा निजाम जो एक कपड़ा कभी दोबारा नहीं पहनता था, जानें इनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें
एक कपड़ा कभी दोबारा नहीं पहनता था
बहुत पुरानी कहावत है, शौक बड़ी चीज है. किसी को पैसे कमाने का शौक होता है, तो किसी को नाम कमाने का. वहीं, किसी को घूमने का शौक होता है, तो किसी को खाने का शौक होता है. कुछ लोग कपड़ों के भी शौकीन होते हैं. लेकिन, एक शख्स ऐसा भी था जिसे कपड़ों का इतना शौका था कि वह एक बार जो कपड़े पहन लेता उसे दोबारा नहीं पहनता. ये बात सुनकर हो सकता है आपको हैरानी हो रही होगी. लेकिन, यह पूरी तरह सच है. तो आइए, जानते हैं उस शख्स के बारे में…
इनका नाम था महबूब अली खान. महबूब अली खान हैदराबाद के छठे निजाम थे. इनका जन्म 17 अगस्त, 1866 को हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि इन्हें कपड़ों का बहुत शौक था. एक बार जिस कपड़े को महबूब अली खान पहन लेते उसे वह दोबारा नहीं पहनते. परिणाम ये हुआ कि ये दुनिया की सबसे बड़ी आलामारी के मालिक बन गए. इन्होंने सबसे पहले वेस्टर्न कपड़े पहनने शुरू किए. बाद में निजाम को कपड़ो को रखने को लेकर बड़ी समस्या होने लगी. लिहाजा, उन्होंने हवेली के दाहिने हिस्से में एक अलमारी बनाई. इस अलमारी की लंबाई 240 फीट थी. इस अलामारी में महबूब अली के कपड़े, जूते और कई अन्य सामान रखे जाते थे.
अलमारी के लिए बर्मा से आई थी लकड़ी
महबूब अली खाने ने कपड़ों को रखने के लिए तकरीबन 124 आलमारियां खरीदी थीं. इन आलमारियों के पास ही चेंजिंग रूम बने थे. इनमें नए कपड़ों को रखा जाता था और पुराने कपड़ों को फेंक दिया जाता था. हैरानी की बात ये है कि Wardrobe में लिफ्ट भी लगाई गई थी, जिसे हाथ से चलाया जाता था. वहीं, अलमारी में जिस लकड़ी का इस्तेमाल किया गया था वह बर्मा से आया था. कहा जाता है कि टीक की आलमारी में दीमक नहीं लगता है. हालांकि, उस हवेली में अब केवल एक आलमारी बची है, जिसमें एक टोपी और दो बूट रखे हैं.