10 सितंबर को मनाया जाता है विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस, फिर भी दिल्ली-एनसीआर में आते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले

Update: 2022-09-10 10:22 GMT

दिल्ली एनसीआर न्यूज़ रिपोर्ट: विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता हैं। देश के साथ-साथ दुनियाभर में बढ़ती आत्महत्याओं पर रोक लगाने और उसके लिए लोगो में जागरूकता लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से हर साल ये दिवस मनाया जाता हैं, लेकिन उसके बावजूद भी लगातार सुसाइड के मामले बढ़ते जा रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर को उत्तर प्रदेश का सबसे हाईटेक शहर माना जाता हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। इससे भी चिंताजनक विषय यह है कि इनमें अधिकतर पढ़े-लिखे और आईटी जैसी कंपनियों में नौकरी पेशा करने वाले लोग हैं।

आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा: डब्ल्यूएचओ का कहना है कि आत्महत्या की वजह से हर साल दुनियाभर में कम से कम आठ लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते हैं। इसे मनाने का उद्देश्य यह दिखाना है कि इसकी रोकथाम हो सकती हैं। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर 15-29 साल के लोग शामिल होते हैं। इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा उम्र के लोग होते हैं।


2003 में हुई थी विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत: विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) ने की थी। इस दिन को वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ एंड वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा स्पॉन्सर्ड किया जाता हैं। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का उद्देश्य सफल रहा, इसीलिए साल 2004 में डब्ल्यूएचओ औपचारिक रूप से इसको फिर से को-स्पॉनसर करने के लिए तैयार हुआ था। जिसकी वजह से ये दिन एक वार्षिक मान्यता प्राप्त दिन बन गया।

आत्महत्या रोकथाम दिवस 2022 की थीम हैं 'Creating Hope through action'

इस दिन को मनाने का उद्देश्य यही है कि लोगों को आत्महत्या करने से रोका जा सके। इस दिन को मनाए जाने की वजह आत्महत्या करनेवाले व्यक्ति के व्यवहार पर रिसर्च करना,अवेयरनेस फैलाना और डेटा कलेक्ट करना हैं। इस साल यानी वर्ष 2022 के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम 'Creating Hope through action' यानी "लोगों में अपने काम के जरिए उम्मीद पैदा करना" निर्धारित की गई हैं। इस दिन आयोजित होने वाले कार्येक्रम इसी थीम पर आधारित होंगे। डब्ल्यूएचओ इस थीम के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि आत्महत्या करने की सोच रखने वालों को किसी भी तरह से अपनी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।

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