कल से शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र, सरकार सभी मुद्दों पर करेंगे चर्चा
संसद के शीतकालीन सत्र से पूर्व सरकार की बुलाई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन, महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, पेगासस जासूसी विवाद और लद्दाख में चीनी आक्रमण जैसे कई मुद्दों पर चर्चा कराए जाने की मांग उठाई।
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पूर्व सरकार की बुलाई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन, महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, पेगासस जासूसी विवाद और लद्दाख में चीनी आक्रमण जैसे कई मुद्दों पर चर्चा कराए जाने की मांग उठाई। सदन में सरकार को विभिन्न मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग का भरोसा भी दिलाया। सरकार की ओर से भी विपक्षी दलों को आश्वस्त किया गया कि वह उनके सकारात्मक सुझावों पर विचार करने और नियमों के तहत लोकसभा अध्यक्ष और सभापति की अनुमति से चर्चा कराने को तैयार है। संसद का यह सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा।
सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा के बारे में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि इसमें 31 दलों के कुल 42 नेताओं ने हिस्सा लिया। चर्चा के दौरान विभिन्न विषयों पर रचनात्मक और कुछ अच्छे सुझाव आए। विपक्ष से अपील की गई कि सदन में बिना किसी व्यवधान के कामकाज हो। विपक्ष ने भी आश्वस्त किया कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करेंगे।
एमएसपी पर कानून की मांगपांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले की गहमागहमी को देखते हुए शीतकालीन सत्र में राजनीतिक दल विभिन्न मुद्दों पर हंगामा भी कर सकते हैं। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में लगभग डेढ़ दर्जन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। सभी विपक्षी दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने पर चर्चा कराने की ओर ध्यान खींचा। बिजली संशोधन विधेयक पर भी विपक्षी नेताओं ने सरकार से जानकारी मांगी। बैठक में सरकार ने बताया कि कुछ विधेयकों को पेश करने के साथ वह उन्हें संसद की स्थायी समिति को भेजना चाहती है। इसे कार्य मंत्रणा समिति में तय कर लिया जाएगा। खड़गे ने स्पष्ट किया कि वैसे तो हम सरकार का सहयोग करना चाहते हैं। प्रत्येक अच्छे विधेयक पर हम सरकार का साथ देंगे, लेकिन चर्चा कराने को लेकर हमारी बात नहीं मानी गई तो सदन में होने वाले व्यवधान का दायित्व सरकार का होगा।
पीएम मोदी नहीं हुए शामिल
सर्वदलीय बैठक में सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हिस्सा लिया। जबकि विपक्ष की ओर से खड़गे के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, आनंद शर्मा, तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक नेता टीआर बालू, सपा नेता रामगोपाल यादव, बसपा नेता सतीश चंद मिश्र, बीजद नेता प्रसन्न आचार्य, नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला और शिवसेना नेता विनायक राउत प्रमुख रूप से पहुंचे। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल नहीं हुए। खड़गे ने कहा कि विपक्ष के नेता उनसे कृषि कानूनों के बारे में पूछना चाहते थे क्योंकि उन्हें आशंका थी कि ये कानून किसी और शक्ल में वापस लाए जा सकते हैं। वहीं, प्रल्हाद जोशी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के आने की कोई परंपरा नहीं है।
आप ने किया बैठक से बहिर्गमन
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय ¨सह ने बैठक से बहिर्गमन किया। पार्टी का कहना है कि उनके नेता को किसानों खासकर एमएसपी के मुद्दे पर बोलने नहीं दिया गया।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई
विपक्ष ने बैठक के दौरान कोरोना की तीसरी लहर की आशंका का मुद्दा भी उठाया। कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वालों के स्वजन को चार लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की बात रखी गई।
मृतक किसानों के स्वजन को मुआवजे की मांग
खड़गे ने मांग रखी कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के स्वजन को भी मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा कर रहे थे कि बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे, लेकिन किसी कारण से वह नहीं आए।
महिला आरक्षण विधेयक लाया जाए
बैठक में कुछ दलों ने सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक लाए जाने की मांग भी की। सूत्रों ने बताया कि यह मांग करने वालों में तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और द्रमुक शामिल हैं।सत्र की खास बातें
सत्र के 25 दिनों में होंगी 19 बैठकें
पेश होगा एक वित्त विधेयक और 36 अन्य विधेयक
इनमें कृषि कानूनों का निरस्तीकरण विधेयक, 2021 शामिल
तीन अध्यादेशों के स्थान पर भी लाएं जाएंगे विधेयक