दिग्गजों ने रखी अपनी बात, भारतीय संस्कृति का प्रतीक है आचार्य द्विवेदी' का साहित्य
गोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक प्रो. नित्यानंद तिवारी ने की। कार्यक्रम के आरंभ में ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित स्मारिका पुनर्नवा का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर पूर्व सांसद एवं प्रसिद्ध हिंदीसेवी जनार्दन द्विवेदी, विख्यात व्यंग्यकार पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा और राजकमल प्रकाशन के प्रमुख अशोक माहेश्वरी भी मौजूद थे।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का व्यक्तित्व और उनका साहित्य दोनों भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। मध्यकालीन साहित्य की व्याख्या करते हैं व आधुनिकता और परंपरा को समझाते हैं। अपने समय के मनुष्य को साहित्य से गठने का प्रयास करते हैं। यह सब करते हुए वे समाज के सबसे निम्न वर्ग और वर्ण के व्यक्ति, वंचित और शोषित को नहीं भूलते। यह कहना है हिंदी के वरिष्ठ आलोचक, कवि व गद्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी का।
वह आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की 116वीं जयंती के अवसर पर शनिवार को आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट और हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य अकादमी के सभागार में आयोजित गोष्ठी काे मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे।
गोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक प्रो. नित्यानंद तिवारी ने की। कार्यक्रम के आरंभ में ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित स्मारिका पुनर्नवा का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर पूर्व सांसद एवं प्रसिद्ध हिंदीसेवी जनार्दन द्विवेदी, विख्यात व्यंग्यकार पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा और राजकमल प्रकाशन के प्रमुख अशोक माहेश्वरी भी मौजूद थे।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य जी का प्रिय वाक्य है सत्य प्रच्छन्न होकर निवास करता है। प्रच्छन्न को संघर्ष करके उजागर या प्रतिष्ठित करना पड़ता है ।
प्रतिष्ठान भरसक उसे पीछे ही रखने का काम करता है। मानवीय संस्कृति का आधार, यही संघर्ष सामाजिकता है। अध्यक्षीय संबोधन में प्रो नित्यानंद तिवारी ने कहा कि द्विवेदी जी साहित्य बोध और आधुनिकता बोध की "समझ" में परंपरा को गहराई के आयाम में देखते हैं।
आचार्य जी परंपरा और आधुनिकता को परस्पर सहयोगी भूमिका में देखने वाले आधुनिक युग के विशिष्ट आलोचक हैं। ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ अपर्णा द्विवेदी ने कार्यक्रम के आरंभ में ट्रस्ट के गठन के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह ट्रस्ट साहित्य, भाषा, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहा है।