संयुक्त किसान मोर्चा बड़े आंदोलन की तैयारी में, जल्द होगी घोषणा

Update: 2022-07-20 05:26 GMT

दिल्ली न्यूज़: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्र की समिति के लिए नामों को भेजने के मुद्दे पर चर्चा बैठक में केंद्र सरकार की एमएसपी समिति को ही खारिज कर दिया था। केंद्र सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेते हुए इस तरह की एक समिति के गठन का वादा किया था, जिसके आठ महीने बाद सोमवार को एमएसपी पर एक समिति का गठन किया गया। समिति की अध्यक्षता पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल करेंगे और संयुक्त किसान मोर्चा के तीन सदस्यों को समिति में शामिल करने का प्रावधान किया है। एसकेएम नेता अभिमन्यु कोहर ने बताया कि मोर्चा की बैठक में एमएसपी पर सरकार की समिति को खारिज कर दिया। क्योंकि सरकार ने अपनी समिति में उन तथाकथित किसान नेताओं को शामिल किया है जिन्होंने तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया था। मोर्चा अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेगा। एसकेएम के नेतृत्व में हजारों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक आंदोलन किया था और सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर किया था।

पूरे मामले पर मोर्चा नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि समिति में सरकार ने किसान नेताओं के नाम पर अपने पांच समर्थकों को इसमें जगह दे दी है जिन्होंने कृषि कानूनों का समर्थन किया था। शामिल किसान प्रतिनिधि या तो सीधे तौर पर भाजपा या आरएसएस से जुड़े हुए हैं या फिर वे उनकी नीतियों का समर्थन करते हैं। समिति के गठन संबंधी एजेंडा में एमएसपी पर कानून बनाने का कोई जिक्र नहीं है। समिति में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान भारत भूषण त्यागी के अलावा किसान संगठनों के प्रतिनिधि के तौर पर गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुणी प्रकाश और सैयद पाशा पटेल को जगह दी है। किसान नेताओं ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी की गारंटी का कानून बनवाने के लिए आंदोलन ही हमारे पास एकमात्र रास्ता बचा है और अब हम आंदोलन की बड़ी रणनीति तैयार करेंगे। 

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