एसआईटी की जांच में अथॉरिटी के कई अधिकारी और सफेदपोश नेताओं के नाम सामने आया
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: तुस्याना में हुए करोडों रुपए के भूमि घोटाले में चल रही एसआईटी की जांच में अथॉरिटी के कई अधिकारी और सफेदपोश नेताओं के नाम सामने आ रहे है। तुस्याना से 14 किलोमीटर दूर जिस 6 प्रतिशत के प्लॉट को उठाकर नॉलेज पार्क-1 में मैन कासना-सूरजपुर रोड पर लगाया गया, उस प्लॉट का लीज प्लान किस डिवीजन के अधिकारियों ने तैयार किया? प्लॉट का मौके पर पजेशन की नाप-तोल किसने की है?
प्रॉजेक्ट विभाग के अफसरों की कमी मिली: जांच में सामने आया है कि 6 प्रतिशत आबादी के प्लॉट पर पूरा कांप्लेक्स बनाकर खड़ा कर दिया गया। जबकि, प्रॉजेक्ट विभाग के डिवीजन के अधिकारियों को निर्माण के दौरान देखना चाहिए था कि प्लानिंग विभाग से नक्शा पास हुआ है या नहीं। यदि नक्शा पास कराया गया है तो कितने प्रतिशत प्लॉट पर कर्मशल और कितने एरिया में आवासीय बनाया जा सकता है, लेकिन डिवीजन के अधिकारियों ने इस दौरान अनदेखी कर दी। जिससे 697 वर्ग मीटर से अधिक जमीन राजेंद्र सिंह ने कब्जा कर बैसमेंट समेत चार मंजिला कामर्शियल कांप्लेक्स बनाकर खड़ा कर दिया। उस मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे प्रॉजेक्ट, प्लानिंग, 6 प्रतिशत और लैंड विभाग के दर्जनों अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है।
अधिकारी और 6 बाबूओं के इर्द-गिर्द घूमने रही कार्रवाई सुई: सीईओ, एसीईओ, जीएम, ओएसडी, डीजीएम से लेकर सिनियर मैनेजर और मैनेजर तक जल्दी नप सकते हैं। इनमें कई अधिकारी रिटायर हो चुके है। तुस्याना में फर्जी पावर अटार्नी से 30 दिसंबर वर्ष 1998 को 142,00,000 रुपए और 92,490 लाख रुपए का मुआवजा उठाया गया है। इस मामले में अब एसआईटी जांच की सुई एडीएम लैंड विभाग के अधिकारी और 6 बाबूओं के इर्द-गिर्द घूमने लगी है।
उठाया था करोड़ों रुपए का मुआवजा: मुआवजा बांटने वाले अधिकारी और बाबूओं ने इस बात की पड़ताल नहीं की थी। उनको इस बात का भी पता नहीं था कि यह जमीन राजेंद्र सिंह आदि के नाम है या नही है। यदि जमीन नाम है तो पूरी जांच कर ही मुआवजा देना चाहिए था। आंख बंद करके मुआवजा बांटना नहीं चाहिए था। राज्य सरकार को इस तरह से करोड़ों रुपए का चुना लगाया गया है।