तुस्याना भूमि घोटाला: हाईकोर्ट ने माना सरकारी जमीन पर हुआ घोटाला, कोर्ट ने 2 महीने का दिया वक्त
सिटी न्यूज़: ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) के दायरे में पड़ने वाले तुस्याना गांव में सैकड़ों करोड़ रुपए का भूमि घोटाला हुआ है। इस पर प्रयागराज हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सामाजिक संस्था 'सच सेवा समिति' की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। जिसमें बताया गया कि कुछ लोगों और अफसरों ने मिलकर विकास प्राधिकरण से करोड़ों रुपए मुआवजे के रूप में ले लिए हैं। इस घोटाले में प्राधिकरण में तैनात अफसर शामिल रहे हैं। बड़ी बात यह है कि ग्राम समाज की जमीन अथॉरिटी को बेची गई और मुआवजा कुछ लोगों ने मिलकर हड़प लिया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने 19 सितंबर तक राज्य सरकार से जांच पूरी करने और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करके रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने माना- सरकारी जमीन का घोटाला हुआ: सच सेवा समिति ने प्रयागराज हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके बताया कि तुस्याना ग्राम सभा की सरकारी जमीन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को कुछ लोगों ने बेच दी। प्राधिकरण और जिला प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों ने जांच-पड़ताल किए बिना सैकड़ों करोड़ रुपये मुआवजे के तौर पर भुगतान कर दिया। इस मामले में राज्य सरकार, प्राधिकरण और प्रशासन से शिकायत की गई। कोई कदम नहीं उठाया गया। सच सेवा समिति ने मामले में हाईकोर्ट से कार्रवाई करने की मांग की। प्रयागराज हाईकोर्ट में जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस साधना रानी ठाकुर की अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने माना कि सरकारी जमीन का घोटाला किया गया है।
जनहित याचिका दायर होने के बाद जांच कमेटी बनी: हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद राज्य सरकार ने तीन अफसरों की हाई पावर कमेटी का गठन किया। इस कमेटी को घोटाले की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 7 दिन का समय दिया गया था। राज्य सरकार के एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल एके गोयल ने अदालत को बताया कि मुख्य सचिव ने राजस्व परिषद के चेयरमैन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। जिसमें मेरठ के अपर पुलिस महानिदेशक और मंडलायुक्त शामिल हैं। कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि यह पूरी प्रक्रिया बेहद लंबी है। लिहाजा, जांच पूरी करने और कार्रवाई करने के लिए वक्त की आवश्यकता है। राज्य सरकार के कई विभाग इस प्रक्रिया में शामिल होंगे।
अदालत ने 2 महीने का वक्त दिया: राज्य सरकार के वकील की बात सुनकर अदालत ने 2 महीने का वक्त दिया है। अदालत ने कहा कि इंक्वायरी कमेटी जांच करेगी। जांच रिपोर्ट इस अदालत के सामने रखेगी। राज्य सरकार का कोई जिम्मेदार अफसर शपथ पत्र के साथ पूरी जानकारी देगा। अधिकारी कम से कम राज्य सरकार में सचिव स्तर का होना चाहिए। इन दो महीनों के दौरान जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी और अदालत को बताएगी। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर 2022 को करने के लिए तारीख लगाई है।