दिल्ली न्यूज़: आटा, अनाज, दाल, चावल, दही, लस्सी, दूध के प्रोडक्ट को पहली बार जीएसटी के दायरे में शामिल करने के जीएसटी काउंसिल के फैसले पर व्यापारियों ने विरोध तेज कर दिया है। व्यापारियों ने इसके विरोध में बुधवार को महपंचायत बुलाते हुए कहा है कि इससे आम आदमी पर महंगाई की मार और पड़ेगी वहीं व्यापारियों की भी परेशानी बढ़ेगी। जीएसटी की नई दरें 18 जुलाई से लागू हो जाएंगी। व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल और सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि आजादी के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि दाल, चावल, आटा, अनाज, दही, लस्सी आदि आम आदमी के जरुरत की चीजों पर टैक्स लगा दिया गया है जबकि ये सभी आइटमें टैक्स फ्री थी। एक तरफ केन्द्र सरकार का हर महीने जीएसटी कलेक्शन लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है दूसरी तरफ नए टैक्स लगाए जा रहे हैं।
सीटीआई ने बुधवार को व्यापारियों की महापंचायत बुलाई है जिसमें प्रमुख 100 बड़े बाजारों के व्यापारी नेता विरोध के आंदोलन की रणनीति तय करेंगे। बृजेश गोयल ने बताया कि दाल, चावल से लेकर अस्पतालों में इलाज के लिए अब लोगों को ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे। जरूरत की तमाम वस्तुओं पर सरकार ने जीएसटी की दरें बढ़ा दी हैं। बता दें कि भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने भी विरोध जताते हुए पूरे देश भर में वीरवार को अनाज मंडियों को बंद कर सरकार को चेताया है।