नई दिल्ली (आईएएनएस)| 1 दिसंबर, 2016 को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) से संबंधित प्रावधानों के लागू होने के बाद से दिसंबर 2022 के अंत तक कुल 6,199 सीआईआरपी शुरू हो चुके हैं। संसद को यह जानकारी मंगलवार को दी गई। यह पूछे जाने पर कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी), 2016 के लागू होने के बाद से इसके प्रावधानों का उपयोग करने वाली कंपनियों की संख्या कितनी है, कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि दिसंबर 2022 तक 611 सीआईआरपी का समाधान हुआ है, जहां लेनदारों ने अपने स्वीकृत दावों का 30.40 प्रतिशत वसूल किया है।
इस सवाल पर कि क्या निर्धारित समय के भीतर प्रक्रिया पूरी करने में देरी हो रही है, उन्होंने कहा कि 611 सुलझाए गए मामलों के समाधान के लिए औसत समय 482 दिनों का है (एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी द्वारा निकाले गए समय को छोड़कर)।
आईबीसी के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया बाजार संचालित प्रक्रिया है और इसका परिणाम बाजार की शक्तियों पर निर्भर करता है। इसके अलावा, समाधान के लिए लिया गया समय कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें व्यवसाय की प्रकृति, व्यापार चक्र, बाजार की भावना, मुकदमेबाजी और विपणन प्रयास शामिल हैं।
10 करोड़ रुपये से अधिक के 'हेयरकट' का लाभ उठाने वाले बकाएदारों की सूची के सवाल पर मंत्री ने कहा : "दिसंबर, 2022 तक 611 हल किए गए सीआईआरपी में से 477 मामलों में लेनदारों के स्वीकृत दावे के विरुद्ध वसूली राशि में 10 करोड़ रुपये से अधिक का अंतर है।"
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