दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूमर, डॉक्टरों ने 25 वर्षीय मरीज की छाती से निकाला 13 किलो से अधिक है वजन इस ट्यूमर का

मरीज देवेश शर्मा को बेहद गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया तो वह सांस नहीं ले पा रहे थे और उनके सीने में बेहद बेचैनी थी। पिछले 2-3 महीनों से तो वह सांस की तकलीफ के चलते बिस्तर पर सीधे लेटकर सो भी नहीं सकते थे।

Update: 2021-10-21 15:20 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | यह सुनकर शायद थोड़ी हैरानी हो कि एक मरीज की छाती में फुटबॉल से भी बड़ा ट्यूमर हो सकता है। दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल ने ऐसे ही एक मरीज की छाती से ऑपरेशन के जरिए यह ट्यूमर बाहर निकाला है और जब पैमाने से इसकी जांच की गई तो पता चला कि यह 13 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन का है और दुनिया में अब तक कभी भी इतना बड़ा ट्यूमर मरीज के शरीर से नहीं निकाला गया।

गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों ने बताया कि एक 25 वर्षीय मरीज की छाती से उन्होंने 13.85 किलोग्राम वजन का ट्यूमर निकाला है। यह छाती में 90 फीसदी से अधिक जगह पर था, जिसके चलते फेफड़ों की क्षमता भी घट चुकी थी। उसके दोनों फेफड़े केवल 10 फीसदी ही काम कर रहे थे।

डॉ. उद्गेथ धीर ने बताया कि ऑपरेशन के बाद जब उन्होंने चिकित्सीय क्षेत्र में मौजूद प्रकाशनों पर अध्ययन किया तो उन्हें दुनिया में ऐसा एक भी केस नहीं मिला है। इससे पहले छाती में सबसे बड़े आकार का ट्यूमर गुजरात में एक मरीज के सीने से निकाला गया था जिसका वजन 9.5 किलोग्राम था।

सांस की तकलीफ से जूझ रहा था मरीज

उन्होंने बताया कि मरीज देवेश शर्मा को बेहद गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया तो वह सांस नहीं ले पा रहे थे और उनके सीने में बेहद बेचैनी थी। पिछले 2-3 महीनों से तो वह सांस की तकलीफ के चलते बिस्तर पर सीधे लेटकर सो भी नहीं सकते थे। जांच के बाद पता चला कि उनके सीने में एक बड़े आकार का ट्यूमर था जो छाती में करीब 90 फीसदी जगह घेरे हुए था और इसने न सिर्फ हृदय को ढक रखा था, बल्कि दोनों फेफड़ों को भी अपनी जगह से हिला दिया था और इसके चलते फेफड़े सिर्फ 10 प्रतिशत क्षमता से ही काम कर रहे थे।

ऑपरेशन में मिली सफलता

उन्होंने कहा कि इस केस को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि मरीज दुर्लभ परेशानी के साथ साथ दुर्लभ ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव का था। इसके अलावा ऐसे मामलों में एनेस्थीसिया देना काफी मुश्किल होता है। एनेस्थीसिया देते समय, ट्यूमर के वजन से हृदय पर दबाव बढ़ता है जिसके चलते रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है और ब्लड प्रेशर काफी गिर जाता है। इन सभी चुनौतियों को साथ में लेते हुए पूरी रणनीति के तहत ऑपरेशन किया गया और उसमें सफलता भी हासिल हुई।

मरीज की हालत में सुधार

करीब चार घंटे तक चले ऑपरेशन के दौरान सभी जोखिम का पूरा ध्यान रखा गया और फिर मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। कुछ दिन बाद स्थिति में सुधार आना भी शुरू हो गया था। अब मरीज की हालत में सुधार हो रहा है और उन्हें मामूली तौर पर ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता है

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