एक अक्टूबर से बदल जाएगा डिजिटल पेमेंट का नियम

Update: 2022-09-27 15:06 GMT

दिल्लीः पिछले दो वर्ष में देश में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ा है। हालांकि इसके साथ ही ठगी की घटनाएं भी तेज हो गई हैं। कई मामलों में ग्राहकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारियां भी लीक हो गई हैं, लेकिन अब रिजर्व बैंक की पहल पर देश में एक अक्टूबर से 'टोकनाइजेशन' की सुविधा शुरू होने जा रही है। देश में जिस तेजी में डिजिटल पेमेंट की सुविधा बढ़ी है, उसी तेजी से लेन-देन में धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ी हैं। ऐसे में धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) क्रेडिट-डेबिट कार्ड को टोकनाइज करने की सुविधा ला रहा है। इसके तहत एक अक्टूबर से कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाली कंपनी को छोड़कर कोई भी कार्ड डाटा जैसे कि कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपायरी डेट आदि को स्टोर नहीं कर सकेगा।

आमतौर पर अभी होता यह था कि आप किसी ई-कामर्स से आनलाइन खरीदारी करते हैं, वहां पर कार्ड को सेव करने का विकल्प होता है।किसी प्लेटफार्म पर डेबिट या फिर क्रेडिट कार्ड की डिटेल को सेव करना किसी खतरे से कम नहीं है। मगर अब आरबीआइ द्वारा टोकनाइजेशन सिस्टम पेश किए जाने के बाद कार्डधाकरों को प्रत्येक ट्रांजैक्शन के बाद कार्ड की डिटेल नहीं भरनी पड़ेगी। आरबीआइ ने ग्राहकों को एक सुरक्षित तरीका सुझाया है, जिसमें ट्रांजैक्शन के समय एक टोकन जेनरेट होगा। इस टोकन के जरिए निजी जानकारी को साझा किए बिना पेमेंट किया जा सकता है। बता दें कि कार्ड टोकनाइजेशन पर मर्चेंट आपके कार्ड की डिटेल्स को सेव नहीं कर पाएंगे। पेमेंट प्रोसेस के दौरान अब मर्चेंट को केवल आपका टोकन शेयर होगा, जिससे लेन-देन में होने वाले फ्राड पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

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