राजधानी दिल्ली में दिलचस्प हुआ सत्ता का संघर्ष

Update: 2022-12-28 06:44 GMT

दिल्ली: प्रदेश भाजपा के पास महापौर व उपमहापौर पद पर जीत हासिल करने का आंकड़ा नहीं है। पार्टी आप पार्षदों में सेंध लगाए बिना इन दोनों पदों पर जीत नहीं सकती है। सवाल उठ रहा है कि आखिर भाजपा की आप के कौन से पार्षदों पर नजर है। इस मामले में प्रदेश भाजपा के नेता चुप्पी साधे है और वह अपने पत्ते खोलने का तैयार नहीं है।

सूत्रों के अनुसार प्रदेश भाजपा के नेताओं ने आम आदमी पार्टी के पार्षदों की पृष्ठभूमि व पार्टी के प्रति निष्ठा का आकलन करने के बाद ही महापौर व उपमहापौर पद पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। भाजपा की आप में दूसरे दलों से गए पार्षदों के साथ-साथ आप के वादा करने के बावजूद पद नहीं देने और पद की ख्वाहिश पाले पार्षदों पर नजर है। वहीं चुनाव लड़ने के लिए आप से जुड़ पार्षदों को भी साधने की उसकी मंशा है। सूत्र बताते है कि भाजपा नेताओं की नजर में दूसरे दलों से आप में गए पार्षदों को आसानी तोड़ा जा सकता है, क्योंकि वह एक बार फिर दलबदल कर सकते है। इसके अलावा उनको आप ने अपने साथ जोड़ने के दौरान एमसीडी में बड़े पद देने वादा किया था, लेकिन आप ने उनको कोई तवज्जो नहीं दी। दूसरी ओर सूत्रों ने बताया कि भाजपा नेताओं की आप के उन पार्षदों पर भी नजर है जो महापौर, उपमहापौर व स्थायी समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य बनने की ख्वाहिश पाले हुए थे।

दरअसल ये वर्षों से आप के साथ जुड़े हुए है और वे पार्टी को खड़ा करने के लिए दिन रात एक किए हुए थे। उनको उम्मीद थी कि एमसीडी में सरकार बनने पर बड़े पद मिलेंगे, मगर ऐसे सभी पार्षदों को बड़ा पद नहीं मिल रहा है। इसके अलावा भाजपा नेताओं को आप के उन पार्षदों के साथ आने का भरोसा है जिनका एमसीडी चुनाव से पहले आप से कोई वास्ता नहीं था। सूत्रों के अनुसार प्रदेश भाजपा ने महापौर व उपमहापौर पर जीत हासिल करने के लिए अपने नेताओं को एमसीडी के जोन स्तर पर प्रभारी बनाया है।

कद्दावर पार्षदों को मैदान में उतार भाजपा ने चुनाव को दिलचस्प बनाया: एमसीडी में बहुमत नहीं होने के बावजूद प्रदेश भाजपा ने अपनी कद्दावर नेता रेखा गुप्ता को महापौर पद का उम्मीदवार बनाकर इस चुनाव को गंभीरता से लेने के संकेत दिए है। इस तरह वह इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को पटकनी देने में कोई कोर कसर नहीं छाड़ेगी। प्रदेश भाजपा ने इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अपने धुरंधर नेताओं को जिम्मेदारी दे दी। उधर, रेखा गुप्ता ने कहा कि वह अपनी पार्टी के ही नहीं, बल्कि दूसरी पार्टियों व निर्दलीय पार्षदों से भी वोट के लिए संपर्क साधेगी।

रेखा गुप्ता को एमसीडी के संबंध में अच्छी खासी जानकारी है। वह वर्ष 2007 में एकीकृत एमसीडी की पार्षद रह चुकी है। इसके अलावा वह वर्ष 2012 में एमसीडी का विभाजन होने के बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम की भी पार्षद चुनी गई थी। वह इन दोनों कार्यकाल के दौरान एमसीडी मेंं कई महत्वपूर्ण पदों पर चुनी गई थी। हाल ही में एमसीडी के हुए चुनाव में वह एक बार फिर पार्षद बनने में कामयाब हुई। भाजपा नेे उसके अनुभव को देखते हुए उन्हें महापौर का चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया। इसके अलावा भाजपा ने संकेत दिए कि भले ही वह बहुमत के आंकड़े से दूर है, लेकिन वह महापौर पद के चुनाव को हल्के में नहीं ले रही है। वह चुनाव जीतने के लिए मैदान में उतरी है। हालांकि यह तो छह जनवरी को एमसीडी के सदन की बैठक में होने वाले

उधर रेखा गुप्ता ने एलान किया कि वह जीत हासिल करने के लिए सभी पार्षदों से संपर्क साधेगी। इसके अलावा वह दिल्ली की जनता से भी अपील करेगी कि वह उनको अपने पार्षद की वोट दिलवाने के लिए उन पर दबाव बनाए।

महापौर चुनाव में जीत का क्या हो सकता आंकड़ा: महापौर चुनाव में कांग्रेस पार्षदों के हिस्सा लेने की स्थिति में आप व भाजपा के पार्षद को जीत के लिए 138 मतों की आवश्यकता होगी, जबकि आप के पास अपने पार्षदों, सांसदों व विधायकों की संख्या ओ मुताबिक जीत के आंकड़े से 12 मत अधिक है, वहीं कांग्रेस के मतदान में शिरकत नहीं करने पर जीत का आंकड़ा घटकर 133 हो जाएगा। ऐसी स्थिति में आप के पास जादुई आंकड़े से काफी मत होंगे। उधर जादुई आंकड़ा कम होने पर भाजपा के लिए जोड़तोड़ करके जीत हासिल करना आसान हो जाएगा।

एमसीडी के सदन में आप का पलड़ा भारी: एमसीडी के 274 सदस्यों के सदन में आप का पलड़ा भारी है। आप के 134 पार्षद के साथ-साथ तीन राज्यसभा के सांसदों व 13 विधायक भी महापौर व उपमहापौर चुनाव में मतदान कर सकेंगे। दो निर्दलीय पार्षदों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन बताया जाता है कि दोनों आप के संपर्क में है। उनके साथ आने पर आप के मतों की संख्या 152 हो सकती है, वहीं भाजपा के 105 पार्षद के अलावा सात लोकसभा सांसद व एक विधायक भी मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। लिहाजा भाजपा के पास 113 वोट है। इसके अलावा कांग्रेस के नौ पार्षद है। हालांकि, कांग्रेस ने किसी भी पद पर अपने पार्षदों का नामांकन पत्र नहीं भरवाया है और उसने मतदान में हिस्सा नहीं लेेने के संकेत दिए है।

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