उपराज्यपाल ने दिल्ली नगर निगम के कार्य प्राणाली को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए कई अहम फैसले लिए
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने पदभार संभालते ही दिल्ली नगर निगम के कार्यप्रणाली को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था। दिल्ली नगर निगम के कार्य प्राणाली को पारदर्शी व भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए उपराज्यपाल ने कई अहम फैसले लिए हैं। उपराज्यपाल के निर्देश पर निगम कि छवि को सुधारने की दिशा में कई प्रयास निगम प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब निगम ने एक बड़ा कदम उठाया है। निगम प्रशासन ने हाल ही में नए नियम को लागू किया है। इस नियम के बाद न सिर्फ अधिकारियों की जवाबदेही को बढ़ेगी बल्कि वे भ्रष्टाचार से भी दूर रहेंगे। नया नियम कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार अधिकारियों व बाबू के लिए राहत वाला है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों व बाबूओं में हडकंप की स्थिति पैदा कर दी है।
निगम प्रशासन ने 26 सितम्बर को एक सर्कुलर जारी किया था। इस सकुर्लर के अनुसार दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को अपनी किसी भी चल व अचल संपत्ति के खरीदने व बेचने से पूर्व सूचना देनी होगी व इस संबंध में विभागीय स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। अगर कोई अधिकारी इस नियम की अनदेखी करता है व गंभीरता से नही लेता है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। कोईं अधिकारी किसी प्रोपर्टी में निवेश करता है तो उसे अपने विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी। सर्कुलर के अनुसार 1964 के नियम के अनुसार निगम कर्मचारियों को किसी भी चल संपत्ति के संबंध में, ट्रांजेक्शन पूरा होने की तारीख के एक माह के भीतर ही अधिकारी व कर्मचारी द्वारा उसकी सूचना दी जानी है जबकि, अगर ऐसा सौदा किसी आधिकारिक संबंध रखने वाले व्यक्ति से हो रहा है तब उसकी कार्यालय में पूर्व सूचना देना व मंजूरी लेना अनिवार्य है। दिल्ली नगर निगम के ऐसे अधिकारी व बाबू जो किसी प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं और उसकी जानकारी अपने विभाग को नहीं देते हैं तो उन पर अब इस मौजूदा नियम के मुताबिक कार्रवाई हो सकती है । जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार को ऐसी कई शिकायतें मिली हैं, जिसमें कर्मचारियों ने अपने दफ्तर को ऐसे निवेश करने से पहले नहीं बताया है और उन्होंने बिना मंजूरी के ही कई कई प्रॉपर्टी में निवेश कर रखा है। गृह मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है तथा उपराज्यपाल ने इस मामले में निगम प्रशासन को सख्त कदम उठाने को कहा है। इस सकुर्लर के बाद कई अधिकारियों व बाबूओं पर गाज गिरने की संभावना है जो भ्रष्ट तरीके से करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं। ऐसे अधिकारियों पर अब निगम सतर्कता विभाग की नजर है। सर्तकता विभाग ने ऐसे निगम अधिकारियों व बाबूओं की सूचि तैयार कर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। जानकारों का कहना है कि निगम के भ्रष्ट अधिकारियों का मकडज़ाल बहुत फैला हुआ है। इस मकडज़ाल को तोडऩे के लिए निगम प्रशासन को बड़े स्तर पर कार्रवाई करनी होगी।