मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने औद्योगिक संगठन ने बताई अपने परेशानियाँ, जानिए पूरी खबर

Update: 2022-09-13 12:21 GMT

एनसीआर नॉएडा न्यूज़: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले रविवार और सोमवार को गौतमबुद्ध नगर जिले के तीनों नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने विकास कार्यों का निरीक्षण किया। साथ ही साथ अधिकारियों के साथ बैठक कर शहर की सुरक्षा से लेकर विकास के लिए किए जा रहे कार्यों पर चर्चा की। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के नोएडा एन्ट्रेप्रिनियोर्स एसोसिएशन के साथ भी बैठक की। आपको बता दें कि यह एसोसिएशन 1978 से चलती आ रही है। इस संस्था को 44 वर्ष हो चुके हैं। मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता के दौरान उद्यमियों ने प्राधिकरण द्वारा हो रही परेशानियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा जो नीति बनाई जाती है उसमें उद्योगों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाया जा रहा है। इन दौरान उधमियों ने शेयर होल्डिंग और लीज से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया।

"नई नीती बनाने से पहले करे हमें विचार-विमर्श": उन्होंने ने मुख्यमंत्री से कहा कि हर औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक संगठन बने हुए होते हैं। ऐसे में अगर प्राधिकरण कोई नीती लेकर आता है तो उसे पहले उन्हें संगठन के साथ बैठ कर विचार विमर्श करना चाहिए ताकि ये नीतियां भविष्य में उद्योगों के लिए ठीक रहेंगी या नहीं, उसके बारे में चर्चा कर ली जानी चाहिए। बंद कमरे में बैठक कर यदि अधिकारी कुछ भी अपने विवेक से नीति बनाकर पास कर देगें और भविष्य में उन नीतियों से उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। यदि अधिकारियों द्वारा उद्योगों से संबंधित नीति बनाने हेतु औद्योगिक संगठनों से विचार-विमर्श नहीं किया जाता तो किसी संगठन के रूप स्वरूप की कोई जरूरत ही नही रह जाती है।

होल्डर बदलने पर देने पड़ते चार्ज: उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि जब भी किसी कंपनी के एक प्रतिसत शेयर होल्डर बदलती है तो प्राधिकरण द्वारा नोएडा प्राधिकरण द्वारा उनसे चार्ज लिया जाता है। यही नहीं स्टांप विभाग भी चार्ज वसूल ता है। कंपनी अपने आप में ही एक पहचान होती है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के कम्पनी निगमित मामलों के नियमों के अनुसार भी यदि किसी कंपनी के शेयर बदलते है तो इससे उसके संचालन पर कोई असर नहीं पड़ता है। कंपनी एक बार ही बनाई जाती है जिसमें आवश्यकतानुसार शेयर होल्डर्स बदलते रहते हैं।

प्राधिकरण जमीन के जरिए कमा रहा पैसे: वहीं, उन्होंने बताया कि जिले के तीनों नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में अगर किसी उद्यमियों को उद्योग लगाना होता है तो उसके लिए संपत्ति लीज पर लेनी पड़ती है। जिस पर बोली लगाने का प्रावधान कर दिया गया है। ऐसा लगता है कि अधिकारियों द्वारा उद्योग को बढ़ावा देने की जगह जमीन के जरिए पैसे कमाने कमाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा उद्योग लगाने के लिए ऐसी जमीन देती है जहां पर कम से कम पैसा जमीन पर खर्च करना पड़े। ताकि उद्योगपति ज्यादा से ज्यादा पूंजी का निवेश उद्योग चलाने में कर सके। यदि सारा पैसा जमीन पर लगा दिया जाएगा तो उद्योग कैसे चलाएंगे।

भूखंड का 90 वर्ष तक का लीज देना पड़ता: इसके अलावा उद्यमियों ने मुख्यमंत्री से कहा कि नोएडा प्राधिकरण की जितनी संपत्ति है वो सब लीज पर हैं। अगर हमें प्राधिकरण से जमीन लेनी होती है तो उसका 90 वर्ष तक का लीज देना होता है। चाहे वन टाइम लीज के रूप में दे या चाहे प्रत्येक वर्ष दें। अगर किसी कारण वर्ष उद्योग असफल हो जाता है तो हम उस बिल्डिंग या भूखंड को किराए पर दे देते हैं। जिसके जरिए प्राधिकरण कार लीज भरते हैं और साथ-साथ अपनी जीविका भी चलाते हैं। ऐसे में प्राधिकरण द्वारा अनिर्मित क्षेत्र फल पर 300 वर्ग मीटर के रेंट परमिशन चार्ज की गणना पर किराया अनुबंध लेना शुरू कर दिया है। अब हमें लीज रेट के साथ साथ किराया भी अलग से देना पड़ता है।

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