फुटओवर ब्रिज योजना का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अभी तक अमलीजामा भी नहीं पहन पाई

Update: 2022-09-20 15:19 GMT

एनसीआर नॉएडा न्यूज़: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की शहर में फुटओवर ब्रिज बनाने की योजना 7 साल बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई है। प्राधिकरण 7 साल से शहर में पांच जगह फुटओवर ब्रिज बनाने के लिए कभी टेंडर जारी करने और निर्माणकार्य पूरा करने तक की डिटेल प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी करता आ रहा है, लेकिन योजना अभी तक अमलीजामा भी नहीं पहन पाई है। शहर में लोग जान जोखिम में डालकर रोड क्रॉस करते है, जहां कई बार रोड क्रॉस करते समय दुर्घटना का भी शिकार हो जाते है।

योजना पड़ी ठंडे बस्तों में: वहीं, ग्रेटर नोएडा के अल्फा सेक्टर-1 के रहने वाले आलोक सिंह का कहना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर में अतिव्यस्थ रहने वाले स्थानों पर फुटओवर ब्रिज बनाने की मांग पर कई साल पहले योजना बनाई थी। जिसमें पहला फुटओवर ब्रिज होंडा सीएल चौराहा, जगत फार्म व ईशान इंस्टीट्यूट के सामने, कैलाश हॉस्पिटल के सामने, सूरजपुर कलेक्ट्रेट के सामने और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गौर चौक (चार मूर्ति गोलचक्कर) के पास फुटओवर ब्रिज बनाए जाने थे। प्राधिकरण ने फुटओवर ब्रिज बनाने के लिए अभी तक टेंडर भी नहीं छोड़े है और योजना ठंडे बस्तों में पड़ी हुई है।

प्राधिकरण की रही बड़ी लापरवाही: आपको बता दें कि दिसंबर 2021 में प्राधिकरण के पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण ने तीन जगहों पर एफओबी (फुटओवर ब्रिज) बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी की थी। जिन्हें करीब 4.70 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना था। इसके लिए 6 महीने का समय भी निर्धारित किए गए थे, लेकिन इस टेंडर प्रक्रिया को गुजरे हुए 9 महीने हो गए हैं। वहीं, अभी तक एक भी एफओबी बनकर तैयार नहीं हुआ है। ऐसे में प्राधिकरण की इस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। जिसकी वजह से लोगों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। शहर में कई स्थान ऐसे हैं जहां पर वाहनों के आवागमन ज्यादा रहती है, जिसके वजह से लोगों को सड़क पार करने में दिक्कत होती है।

कलेक्ट्रेट के सामने बनाना था एफओबी: दरअसल, कलेक्ट्रेट के पास ही पुलिस दफ्तर, जिला कोर्ट, वाणिज्यकर विभाग समेत कई ऑफिस बने हुए हैं। इन दफ्तरों को जाने के लिए लोग सूरजपुर-कासना रोड को पार करते हैं। इस रास्ते पर वाहनों की आवाजाही दिन भर बनी रहती है।

जगत फॉर्म और कैलाश अस्पताल: जगत फॉर्म के सामने ईशान इंस्टीट्यूट की तरफ भी बड़ी तादात में लोग रोड को पार करते हैं। इससे वाहनों की आवाजाही भी बाधित होती है। कैलाश अस्पताल के सामने भी सड़क पार करने वालों की भीड़ लगी रहती है। प्राधिकरण ने इन तीनों जगहों पर बीओटी (बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर ) के आधार पर एफओबी बनवाना चाह रहा था, लेकिन कंपनियों ने कम रुचि दिखाई।

साभार - महकार सिंह भाटी

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