केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की बैठक बुलाने के सरकारी पत्र के विवाद पर दिया स्पष्टीकरण

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) को कथित तौर पर एक बैठक में बुलाने के सरकारी पत्र पर विवाद के बीच कानून मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि यह पत्र चुनाव आयोग के सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था।

Update: 2021-12-18 17:10 GMT

नई दिल्ली,  मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) को कथित तौर पर एक बैठक में बुलाने के सरकारी पत्र पर विवाद के बीच कानून मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि यह पत्र चुनाव आयोग के सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था। सीईसी और दो चुनाव आयुक्तों के साथ बाद में वर्चुअल बातचीत चुनावी सुधारों पर मतभेद दूर करने के लिए थी। कानून मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कैबिनेट सचिव, विधि सचिव और विधायी सचिव को 16 नवंबर को आम मतदाता सूची पर बैठक के लिए पत्र लिखा था।

पत्र सचिव या आधिकारिक प्रतिनिधि के लिए था, सीईसी के लिए नहीं : कानून मंत्रालय
कानून मंत्रालय ने कहा कि यह मुख्य चुनाव आयुक्त को संबोधित नहीं था। चूंकि चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची के संबंध में आवश्यक विशेषज्ञता और जनादेश है और मुख्य चुनाव आयुक्त के कानून मंत्री, सचिव, विधायी विभाग को लिखे गए पत्रों के आलोक में इस बैठक में चुनाव आयोग के अधिकारियों को आमंत्रित करना उचित समझा गया। कानून मंत्रालय ने कहा कि विधायी विभाग द्वारा पत्र सचिव को संबोधित किया गया था। पत्र के अंतिम पैराग्राफ में भी सचिव, भारत के चुनाव आयोग से बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया गया था।
चुनाव सुधारों पर कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देने के लिए थी बैठक
आयोग को पत्र प्राप्त होने के बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त ने सचिव, विधायी विभाग से बात कर पत्र के मध्य भाग में अभिव्यक्ति पर अपनी नाराजगी व्यक्त की, जिससे यह आभास हुआ कि सीईसी के बैठक में भाग लेने की उम्मीद थी। सचिव विधायी विभाग ने स्पष्ट किया कि पत्र बैठक में भाग लेने के लिए सचिव या विषय से परिचित सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था। मंत्रालय ने कहा कि 16 नवंबर की बैठक कुछ सुधारों पर कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देने के लिए थी और इसे वर्चुअल आयोजित किया गया था।
विपक्ष ने साधा था निशाना
बयान में कहा गया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के साथ बाद की बातचीत अनौपचारिक थी और अंतिम प्रस्ताव के लिए दो या तीन पहलुओं पर विचार करने के लिए थी। विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि सीईसी को पीएमओ में बुलाकर सरकार ने चुनाव आयोग की स्वायत्तता को कमजोर किया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर लोकसभा में कार्यवाही स्थगित करने के लिए सोमवार को नोटिस पेश कर सकती है।
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