एनसीआर नॉएडा: होम लोन का ब्याज आसमान छू रहा है। रजिस्ट्री का कुछ पता नहीं है। लोग बैंकों को ब्याज और सरकार को टैक्स दिए जा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का अंत नहीं हो रहा है। एनसीआर में अधूरे पड़े प्रोजेक्ट में काम शुरू करवाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं दिख रहा है। सालों से अपनी कमाई लुटाए बैठे घर खरीदारों को राहत देने के लिए बजट में कोई गंभीर प्रावधान नहीं दिखा। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के होम बायर्स की इस बजट पर कुछ ऐसी ही निराश करने वाली प्रतिक्रियाएं हैं।
बजट से खुश नही हैं होम बायर्स: गौतमबुद्ध नगर में घर खरीदारों की प्रमुख संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा, "इस बजट में हमारे लिए कुछ नहीं है। अथॉरिटी (नोएडा और ग्रेटर नोएडा) को केंद्रीय सरकार से मदद देकर प्रोजेक्ट पूरे करने का कोई प्रयास नहीं है। बकाया पैसों की एवज में रुकी रजिस्ट्री को शुरू करवाने के लिए केंद्र की तरफ से कोई ठोस प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में सभी घर खरीददार एक बार फिर से हताशा की गर्त में जाते दिख रहे हैं। मंहगाई और बढ़ती जा रही है। ईएमआई ने लोगों को परेशान कर रखा है। टैक्स स्लैब में थोड़ी राहत जरूर दी है लेकिन यह सब नाकाफी है।"
अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा कराने की मांग: अभिषेक कुमार कहते हैं, "सरकार के सलाहकारों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नौकरी पेशा मध्यवर्ग की जीवनभर की कमाई कमोबेश लुट चुकी है। आखिरी उम्मीद भी टूटने का असर ज्यादा गहरा होता है। केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर समस्या का समाधान निकालना ही होगा। केंद्र के डिस्ट्रेस फंड से उन प्रोजेक्ट को कोई फायदा नहीं हुआ है, जहां बिल्डर का बहुत काम काम बचा है। या जहां बिल्डर भाग गए हैं। सप्लीमेंटरी बजट के जरिए घर खरीदारों की रजिस्ट्री और अधूरे प्रोजेक्ट्स पूरे करने के लिए सार्थक प्रयास किया जाना समय की मांग है। डिस्ट्रेस फंड का दायरा बढ़ाने की जरूरत थी।"
बजट उम्मीदों से बहुत पीछे: स्प्रिंग मैडोज सोसायटी के निवासी विकास कटियार कहते हैं, "हमें जो उम्मीद थी, बजट उस पर खरा नहीं उतरा है। मिडिल क्लास जो पैसा कमाती है, उसे अस्पताल या फिर स्कूल फीस में खर्च कर देती है। सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कोई भी बड़ा प्रावधान नही दिया है। इसी सोसोयटी के रहने वाले सागर गुप्ता ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार नई कर व्यवस्था को आगे बढ़ा रही है लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं है। मध्यम वर्ग 80C के तहत निवेश कर रहा है या होम लोन पर चुकाए गए ब्याज का लाभ उठा रहा है, नई कर व्यवस्था के तहत इसका लाभ नहीं उठाया जा सकता है। यह गलत है।"