आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है निगम की आर्थिक संकट

Update: 2022-12-12 07:01 GMT

दिल्ली न्यूज़: आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली नगर निगम की सत्ता मिलना दोधारी तलवार जैसा है। आर्थिक संकट में फंसे निगम को उबारने की दिशा में दिल्ली सरकार के पास चौथे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है, क्योंकि निगम की आय के तमाम स्रोत तत्काल ही नहीं, बल्कि वर्षों तक आर्थिक स्थिति पटरी पर लाने में सक्षम नहीं हैं।

वहीं, रिपोर्ट लागू होने पर दिल्ली सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी। दरअसल, इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार को निगम को प्रतिवर्ष तीन गुना अधिक राशि देनी होगी। साथ ही, दिल्ली सरकार को गत 10 वर्ष की बकाया राशि भी देनी पड़ेगी। दिल्ली सरकार वर्तमान में तीसरे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने तमाम कर व शुल्क से होने वाली आय का निगम को चार प्रतिशत हिस्सा देती है, जबकि चौथे दिल्ली वेतन आयोग रिपोर्ट में सभी कर व शुल्क की आय का एमसीडी को साढ़े 12 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की गई है।

इसके अलावा रिपोर्ट में निगम को वर्ष 2012-13 के बाद से उसकी सिफारिशों के अनुसार हिस्सा देने का प्रावधान किया गया है। दिल्ली सरकार ने वर्ष 2015 में चौथे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था, लेकिन लागू नहीं किया। इस दौरान दिल्ली सरकार ने तर्क दिया था कि केंद्र सरकार की आय से उसे पूरा हिस्सा नहीं मिल रहा है। इस कारण वह इस रिपोर्ट के तहत एमसीडी को अपनी आय का हिस्सा नहीं दे सकती, लेकिन अब एमसीडी में आप की सरकार बनने की स्थिति उसके लिए इस तरह के तर्क देना मुश्किल होगा, क्योंकि निगम चुनाव के दौरान आप ने आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ तमाम समस्याओं का समाधान करने और लोगों को सुविधाएं देने का वादा किया है।

निगम को तीसरे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट के तहत अभी दिल्ली सरकार से प्रतिवर्ष करीब तीन हजार करोड़ रुपये मिलते हैं जबकि चौथे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट लागू होने पर प्रतिवर्ष करीब नौ हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार की आय बढ़ने पर एमसीडी के हिस्से की भी राशि बढ़ेगी। इसके अलावा एमसीडी को दिल्ली सरकार से गत 10 वर्षों के बकाया के तौर पर उसकी प्रतिवर्ष की आय के तहत करीब 40 हजार करोड़ रुपये भी मिलेंगे।

रिपोर्ट लागू होने पर तिजोरी भर जाएगी: एमसीडी का वर्तमान वर्ष का 15 हजार करोड़ रुपये बजट है। उसे चौथे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट के तहत दिल्ली सरकार से करीब नौ हजार करोड़ रुपये मिलने शुरू होने की स्थिति में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि उसे केंद्र सरकार से अनुदान के तौर पर करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये मिलते हैं और उसके अपने आंतरिक स्रोतों से इस साल करीब आठ हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। रिपोर्ट की सिफारिश के तहत दिल्ली सरकार से बकाया करीब 40 हजार करोड़ रुपये मिलने पर निगम पर कर्ज भी नहीं रहेगा और वह तमाम देनदारी भी चुका देगी।

फटकार के बावजूद आय के स्रोत नहीं बढ़ाए: चौथे दिल्ली वित्त आयोग ने एमसीडी को दिल्ली सरकार के कर व शुल्क से मिलने वाला हिस्सा बढ़ाने की सिफारिश करने के साथ ही राजस्व जुटाने में नाकाम रहने पर फटकार भी लगाई थी। रिपोर्ट में खास तौर पर कहा गया था कि एमसीडी का प्रॉपर्टी टैक्स जुटाने की दिशा में कोई ध्यान नहीं है। केवल 25 प्रतिशत लोगों से टैक्स मिल रहा है। यह टैक्स भी लोग स्वयं देनेे के लिए उनके पास आते हैं। इसके अलावा एमसीडी को आय के नए स्रोत पैदा करने की भी सलाह दी थी, मगर रिपोर्ट आए हुए सात साल बीत जाने के बावजूद एमसीडी ने अपनी आर्थिक मजबूत करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए है।

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