आरोपी ने एक साल में दाखिल की 11 जमानत याचिकाएं, अदालत ने लिया ये एक्शन

जानें पूरा मामला.

Update: 2021-12-12 04:35 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के एक अदालत ने एक वर्ष में 11 जमानत याचिकाएं दाखिल करने के लिये एक व्यक्ति पर जुर्माना लगाया और कहा कि इस तरह की 'मनगढ़ंत' याचिकाओं के लंबित रहने से अदालतों की सूचियां भर जाती हैं और कीमती न्यायिक समय बर्बाद हो जाता है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने धोखाधड़ी और साजिश के एक मामले में आरोपी पर यह देखते हुए 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया कि उसने परिस्थिति में बिना किसी बदलाव के 11वीं बार जमानत याचिका दायर की.

एएसजे बेदी ने कहा कि आरोपी की दसवीं जमानत याचिका 29 नवंबर, 2021 को खारिज कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि अंतरिम जमानत की अपील करने वाली छठी याचिका रद्द करते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था. आरोपी 27 नवंबर, 2020 से न्यायिक हिरासत में है.
न्यायाधीश ने कहा, 'आवेदक के वकील ने अभियुक्त की न्यायिक हिरासत में कैद को छोड़कर किसी भी बदली हुई परिस्थिति को इंगित नहीं किया है. तथ्य की स्थिति या कानून में किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव के बिना आवेदक के एक के बाद एक आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता.'
उन्होंने कहा कि परिस्थितियों में कोई बदलाव हुए बिना लगातार जमानत के आवेदन दाखिल करना वास्तव में कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है.
न्यायाधीश ने नौ दिसंबर को दिये अपने निर्णय में कहा, 'इस तरह के मनगढ़ंत आवेदनों के लंबित रहने से न्यायालयों की सूचियां भर जाती हैं और कीमती न्यायिक समय भी बर्बाद हो जाता है. अभियुक्त की 11वीं जमानत अर्जी का कोई आधार नहीं है और इसे खारिज किया जा सकता है. अदालत ने कहा कि जमानत याचिका खारिज करते हुए आवेदक पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाता है.

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