सुप्रीम कोर्ट ने किया कोरोना मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा देने की समयसीमा तय, केंद्र ने दी जानकारी
केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 24 मार्च के एक आदेश में कोविड-19 (Covid-19) से हुई.
केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 24 मार्च के एक आदेश में कोविड-19 (Covid-19) से हुई. मौतों के मुआवजे के दावे दायर करने के लिए समय सीमा तय की थी. 20 मार्च से पहले हुई मौतों के लिए 60 दिनों के भीतर आवेदन दिया जाना है, जबकि भविष्य में किसी भी मौत के लिए मुआवजे (Ex Gratia) को लेकर 90 दिनों का समय दिया गया है. आवेदनों को प्रोसेस करने और दावे मिलने की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर मुआवजे का वास्तविक भुगतान करने के लिए पहले के आदेश को लागू किया जाना जारी रहेगा.
सरकार ने कहा, हालांकि अदालत ने निर्देश दिया कि अत्यधिक कठिनाई के मामले में जहां कोई दावेदार निर्धारित समय के भीतर आवेदन नहीं कर सकता है, उसके लिए शिकायत निवारण समिति से संपर्क करने और पैनल के माध्यम से दावा किया जा सकता है. इस दावे पर केस दर केस विचार किया जाएगा. यदि समिति की ओर से यह पाया जाता है कि कोई विशेष दावेदार निर्धारित समय के भीतर दावा नहीं कर सकता है तो योग्यता के आधार पर विचार किया जाएगा.
इसके अलावा कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि फर्जी दावों के जोखिम को कम करने के लिए पहली बार में ही आवेदनों में से 5 प्रतिशत की तुरंत जांच की जाएगी. यदि यह पाया जाता है कि किसी ने फर्जी दावा किया है, तो उस पर डीएम अधिनियम, 2005 की धारा 52 के तहत केस दर्ज जाएगा और उसके अनुसार दंडित किया जाएगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को अनुग्रह राशि पाने के लिए झूठे दावों की जांच करने की अनुमति दी थी. जस्टिस एम. आर. शाह और जस्टिस बी. वी. नागरत्न की पीठ ने कहा था कि सरकार चार राज्यों… महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और आंध्र प्रदेश में पांच प्रतिशत दावों का सत्यापन कर सकती है, जहां दावों की संख्या और दर्ज की गई मृतक संख्या के बीच काफी अंतर था.
सुप्रीम कोर्ट ने झूठे दावों पर जताई थी चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को मिलने वाली 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि पाने के लिए झूठे दावों को लेकर भी चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है और उसे लगता था कि नैतिकता का स्तर इतना नीचे नहीं गिर सकता. कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करें, ताकि मुआवजे का भुगतान किया जा सके.
अनुग्रह राशि का वितरण नहीं करने से नाराज शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों को भी फटकार लगाई थी. उसने कहा था कि राज्य को कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों के परिजन को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं करना चाहिए कि मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना वायरस को मौत का कारण नहीं बताया गया है. अदालत ने कहा था कि कोविड-19 की वजह से मौत की पुष्टि होने और आवेदन जमा करने के 30 दिन के भीतर मुआवजा वितरित किया जाए.