राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस
दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 2 हत्यारों ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार यानी आज सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। नोटिस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन ने द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाब मांगा गया है। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने मई में नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की याचिका को ठुकराते हुए कहा था कि हमारे पास संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियां नहीं हैं। इसलिए हम रिहाई का आदेश नहीं दे सकते हैं। वहीं हाईकोर्ट ने कहा था कि दोषी इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजा खटखटा सकते हैं।
21 मई 1991 की रात को राजीव गांधी लोकसभा चुनाव के प्रचार तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में कर रहे थे, तभी एक आत्मघाती महिला हमलावर राजीव गांधी के पास फूलों का हार पहनाने के बहाने आई और पैर छूने के बहाने से नीचे झूकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटक में ब्लास्ट कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2018 में तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राजीव गांधी की हत्या एक अन्य दोषी पेरारिवलन को 30 साल की सजा कटाने के बाद रिहा करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह रिहाई का आदेश जेल में अच्छे बर्ताव को देखते हुए दिया था। शीर्ष अदालत ने साल 1999 मई में चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथान और नलिनी को सजा ए मौत सुनाया था। वहीं साल 2014 में इन दोषियों की दया याचिका लंबित रहने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन, मुरुगन और संथान की सजा ए मौत को उम्रकैद में बदल दिया है। वहीं इससे पहले 2001 में नलिनी की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क के आधार पर उम्रकैद में बदल दी थी कि उसकी एक बेटी है।