त्रिपुरा हिंसा पर ट्वीट करने वाले चार छात्रों के खिलाफ पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई करने से पुलिस को रोका

2021 में त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले चार छात्रों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा पुलिस को मना किया है।

Update: 2022-03-26 13:55 GMT

2021 में त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले चार छात्रों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा पुलिस को मना किया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यह आदेश दिया। दरअसल, इन छात्रों ने इस मामले में चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया। कथित हिंसा के इस मामले में लंबित अन्य याचिकाओं में इन याचिकाओं को जोड़ दिया।

पीठ ने आदेश दिया कि अगले आदेश तक, 3 नवंबर, 2021 को पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन, त्रिपुरा के केस नंबर में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शाहरुख आलम पेश हुए। उन्होंने कहा कि इन चार लोगों को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत त्रिपुरा दंगों पर उनके ट्वीट के लिए नोटिस भेजा गया है। उन्होंने अदालत को बताया कि ये चारों छात्र हैं। शाहरुख आलम ने अदालत से कहा कि पहले भी कई लोगों को उनकी इसी तरह की कार्रवाई के लिए कोर्ट द्वारा संरक्षण दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या इन चार छात्रों के खिलाफ एक सामान्य प्राथमिकी है, जिसका आलम ने सकारात्मक जवाब दिया। शीर्ष अदालत ने 7 फरवरी को राज्य में कथित सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए लोगों को नोटिस भेजने के लिए त्रिपुरा पुलिस की खिंचाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब राज्य सरकार के वकील को चेतावनी दी थी कि अगर त्रिपुरा पुलिस लोगों को परेशान करने से परहेज नहीं करती है, तो वह गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तलब करेगी।
सुप्रीम कोर्ट उस समय पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में पत्रकार ने आरोप लगाया था कि त्रिपुरा पुलिस ने सीआरपीसी की धारी 41 ए के तहत पेश होने के लिए नोटिस जारी की थी। इस मामले में शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को पुलिस को कार्रवाई करने से रोक दिया था। पिछले साल, पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं उस वक्त हुईं थीं जब पता चला था कि बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों पर दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला किया गया था।


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