कोरोना अनुग्रह राशि पाने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वालों के लिए सुप्रीम कोर्ट दे सकता है जांच का आदेश

कोरोना अनुग्रह राशि के फर्जी दावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है।

Update: 2022-03-07 18:31 GMT

नई दिल्ली, कोरोना अनुग्रह राशि के फर्जी दावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि कोरोना की मौत के लिए अनुग्रह मुआवजा पाने के लिए कई लोग फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बना रहे हैं और अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो वो उसके खिलाफ कार्यवाही करने से हिचकेगा नहीं। कोर्ट ने अपने आदेश के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है और कहा है कि ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए जांच का आदेश दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने डॉक्टरों द्वारा जारी किए जा रहे फर्जी प्रमाणपत्रों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

कोर्ट ने अंकुश लगाने के लिए मांगा सुझाव
शीर्ष अदालत ने नकली कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र पर अंकुश लगाने के लिए एक तंत्र पर सुझाव मांगा है, जिसके तहत 50,000 अनुग्रह राशि जारी की जाती है। बता दें कि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नकली कोरोना प्रमाणपत्र या नकली दावों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने पीठ से कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार फिलहाल डाक्टरों द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही यह अनुग्रह राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे कई लोग कोर्ट के आदेश का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने इसके साथ एक सुझाव भी दिया कि आवेदन दाखिल करने और घातक कोरोना के शिकार लोगों के परिजनों द्वारा अनुग्रह मुआवजे का लाभ उठाने के लिए एक निश्चित समय सीमा होनी चाहिए।
14 मार्च को फिर होगी सुनवाई
कोर्ट में मौजूद केरल राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत से न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि कृपया सुझाव दें कि हम डॉक्टरों द्वारा जारी किए जा रहे फर्जी प्रमाणपत्रों के मुद्दे को कैसे रोक सकते हैं। यह किसी के वास्तविक अवसर को छीन सकता है। इसपर पीठ ने मामले को 14 मार्च को सुनवाई के लिए रखा है। बता दें कि शीर्ष अदालत वकील-सह-याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन परिवार के सदस्यों के लिए अनुग्रह मुआवजे की मांग की गई थी, जिनकी मृत्यु कोरोना महामारी के कारण हुई थी।
कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मिलने हैं 50,000 रुपए
गौरतलब है कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने कोविड-19 से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान पर केंद्र के आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों को मंजूरी दी थी और कहा था कि आवेदन करने के 30 दिनों के भीतर पैसा वितरित किया जाना चाहिए। पिछली सुनवाई पर, शीर्ष अदालत ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश भी दिया था।


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