सुप्रीम कोर्ट ने लगाया आवेदक पर 25 लाख का हर्जाना, याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक आवेदक पर यह कहते हुए 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, कि उत्तराखंड हाई कोर्ट और राज्य सरकार के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ उसके आवेदन में दिए गए कथन 'अस्वीकार्य' हैं और उसके द्वारा 'निराधार आरोप' लगाए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक आवेदक जो खुद को एक कार्यवाही में शामिल करना चाहता है, उसे कुछ संयम दिखाना चाहिए और निराधार आरोप लगाने से बचना चाहिए जैसा कि उसके समक्ष दायर आवेदन में किया गया था।
चार हफ्ते के भीतर जमा हो रकम
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा हम नजीर के तौर पर आवेदक पर 25 लाख रुपये का हर्जाना लगाकर इस आवेदन को सिरे से खारिज करते हैं। शीर्ष अदालत ने खासगी (देवी अहिल्याबाई होल्कर चैरिटीज ) ट्रस्ट, इंदौर से संबंधित एक मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग करने वाले आवेदक द्वारा दायर आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि आवेदक यदि चार हफ्ते में जुर्माने की रकम सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा नहीं करता तो इस रकम की वसूली हरिद्वार के डीएम को करके जमा करानी होगी।
आवेदन में दिए गए कथन अस्वीकार्य- कोर्ट
पीठ ने कहा कि हमारी राय में, एक आवेदक जो खुद को इस अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही में शामिल करना चाहता है, जिसमें जटिल मुद्दे शामिल हैं, को कुछ संयम दिखाना चाहिए। उसे आवेदन में किए गए निराधार आरोप लगाने से बचना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि आवेदन में किए गए कथन अस्वीकार्य हैं। दलीलों के दौरान आवेदक की ओर से पेश वकील ने अदालत से कहा कि उसे आवेदन वापस लेने की अनुमति दी जाए। पीठ ने मौखिक रूप से कहा, वापस लेने की अनुमति क्यों दी जाए। आप यहां आते हैं और सभी तरह के आरोप लगाते हैं। पहले थप्पड़ मारो और फिर सारी बोलो। पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अक्टूबर 2020 के फैसले से उत्पन्न मुख्य मामले की सुनवाई फरवरी के तीसरे सप्ताह में की जाएगी।