सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन को लेकर जनहित याचिका की खारिज

Update: 2023-05-26 09:55 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन कराने के निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और पी.एस. नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता से व्यक्तिगत रूप से कहा, वह इस तरह की याचिका लेकर अदालत में क्यों आए हैं और इस बात पर जोर दिया कि अदालत अनुच्छेद 32 के तहत इस पर विचार करने में दिलचस्पी नहीं रखती है। पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, अनुच्छेद 79 यहां कैसे प्रासंगिक है?

एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने कहा कि राष्ट्रपति संसद का प्रमुख होता है और यह पूरी तरह से अनुच्छेद 79 और 87 का उल्लंघन है। सुकिन ने दलील दी कि राष्ट्रपति को ही संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए क्योंकि वह संसद के प्रमुख हैं। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री कैसे उद्घाटन कर सकते हैं। बेंच के विचार करने से इनकार करने के बाद, सुकिन याचिका वापस लेने पर सहमत हुए।

अधिवक्ता सीआर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय, भारत संघ, गृह मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने संविधान का उल्लंघन किया है।याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लोकसभा महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण कार्ड मनमाना तरीके से जारी किया गया है।

याचिका में कहा गया, संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन - राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास संसद की सभा बुलाने और समाप्त करने की शक्ति है। याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पीएम की सलाह पर की जाती है।

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