सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने नोएडा अथॉरिटी पर लगाया भारी भरकम जुर्माना

Update: 2022-09-09 07:25 GMT

एनसीआर नॉएडा न्यूज़: नोएडा विकास प्राधिकरण को 250 करोड़ रुपए का फटका लग गया है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दो अलग-अलग मामलों में नोएडा अथॉरिटी पर भारी भरकम हर्जाना व जुर्माना लगाया है। इतना ही नहीं पूर्व में आए फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए अथॉरिटी ने याचिकाएं दायर की थीं। अथॉरिटी की दोनों याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। अब शहर के बीचोंबीच एक भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामले में जमीन के मालिक को 100 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। दूसरी ओर पर्यावरण से जुड़े मसले पर नियमों का पालन नहीं करने के चलते 150 करोड रुपये का हर्जाना भरना पड़ेगा।

क्या है मामला: नोएडा अथॉरिटी पर 250 करोड़ रुपए का हर्जाना लगाया गया है। प्राधिकरण की एक याचिका एनजीटी ने खारिज कर दी। दूसरी तरफ प्राधिकरण की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दी है। नोएडा प्राधिकरण को एक के बाद एक दो तगड़े झटके लगे हैं। जिनके चलते प्राधिकरण को अब 250 करोड़ रुपए का हर्जाना देना होगा। अथॉरिटी के खिलाफ पूर्व में आए फैसलों पर पुनर्विचार करने लिए यह दोनों याचिका अलग-अलग मामलों में दाखिल की गई थीं। फटकार लगने के साथ अब प्राधिकरण को मुआवजे और जुर्माने को मिलकार कुल 250 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम देनी होगी।

जबरन भूमि अधिग्रहण को अवैध बताया, 100 करोड़ मुआवजा देना होगा

पहले केस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मई को रेड्डीवीरा नामक याची के पक्ष में फैसला सुनाया था। जमीन मालिक को 100 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान छह सप्ताह में करने का आदेश दिया था। दरअसल, रेड्डीवीरा ने वर्ष 1997 में छलेरा बांगर गांव में 2.18 बीघा (7,400 वर्गमीटर) जमीन खरीदी थी। यह जमीन अथॉरिटी ने जबरन अधिग्रहीत करके कमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाने के लिए एक बड़ी कम्पनी को आवंटित कर दी। जिसे जमीन मालिक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। एक साल पहले हाईकोर्ट ने जमीन मालिक के पक्ष में फैसला सुनाया था। हालांकि, मुआवजे की राशि कम थी। इसलिए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल किया। दूसरी तरफ प्राधिकरण भी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी की याचिका खारिज करते हुए मुजावजे की राशि ब्याज के साथ देने का आदेश दिया है। इस मामले में पार्टी बनी डीएलएफ कम्पनी को केस से बाहर कर दिया। दरअसल, जमीन का आवंटन डीएलएफ को किया गया है।

एनजीटी ने पुनर्विचार याचिका खारिज की, 150 करोड़ रुपये जुर्माना बरकरार: करीब एक महीने पहले एनजीटी ने नोएडा प्राधिकरण पर 150 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण ने एनजीटी में पुनर्विचार याचिका दायर की। जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने नोएडा प्राधिकरण की पुनर्विचार याचिका को बलहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है। एनजीटी ने प्राधिकरण को 150 करोड़ रुपए का जुर्माना भुगतान करने का आदेश दिया है। इसके अलावा यह भी कहा है कि अगर प्राधिकरण चाहे तो उच्च अदालत में जा सकता है। मतलब, अथॉरिटी को अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।

प्रदूषण रोकने में विफल नोएडा प्राधिकरण: एनजीटी

एनजीटी ने अपने फैसले में उल्लेख किया कि नोएडा में 95 ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में से 56 में सीवर साफ करने की सुविधा नहीं है या आंशिक उपचार सुविधा है। बिना शोधित किए सीवर सीधे नाले में बहता है। पीठ ने कहा, "सीवर रोकने के लिए निर्दिष्ट प्राधिकारी हैं। वह सीवर को सीधे नाले और नदियों में जाने से रोकने में असफल रहे हैं।" पर्यावरण प्रकोष्ठ के संबंध में नोएडा विकास प्राधिकरण ने एनजीटी को सूचित किया कि यह अब तक नहीं बनाया जा सका है। क्योंकि पेशेवरों को काम पर रखने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इस पर पीठ ने आगे कहा, "नोएडा की रिपोर्ट में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं दिखता है। आर्द्रभूमि का काम आवंटित किया गया है, लेकिन नालों के पानी की गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रही है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त आदेश दिए: एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दो महीने के भीतर सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा कि उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिव उच्चतम स्तर पर सीधे या किसी उपयुक्त तंत्र के माध्यम से निगरानी करें। आपको बता दें कि अभिष्ट कुसुम गुप्ता की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। नोएडा निवासी अभिष्ट कुसुम गुप्ता ने सेक्टर-137 में सिंचाई नहर में मलजल निस्तारण के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। एनजीटी ने नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया है कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के बैंक खातों में डेढ़ सौ करोड रुपए हर्जाना जमा करें। अथॉरिटी की रिव्यु पिटीशन खारिज कर दी गई है। एनजीटी ने प्राधिकरण से कहा है कि अगर उन्हें अपील दायर करनी है तो ऊंची अदालत में जा सकते हैं।

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