विद्यार्थी 4 वर्षीय स्नातक के बाद पीएचडी में ले सकेंगे दाखिला: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

Update: 2022-06-15 12:54 GMT

दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने पीएचडी करने के लिए अब मास्टर कोर्स की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। यूजीसी द्वारा हाल में जारी की गई नई गाइडलाइंस के अनुसार अब 10 में से 7.5 सीजीपीए के साथ 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट कोर्स करने वाले विद्यार्थी पीएचडी में सीधे दाखिला ले सकेंगे। यूजीसी चेयरमैन एम जगदेश कुमार ने एक बयान में कहा कि जिन विद्यार्थियों का सीजीपीए स्कोर 7.5 से कम रहेगा उन्हें एक साल वाली मास्टर डिग्री लेनी पड़ेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ये दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इस नियम को यूजीसी अकादमिक सत्र 2022-23 से लागू कर सकता है। उन्होंने कहा कि नए रेगुलेशन आने से अब छात्रों का दो वर्ष का समय बचेगा। पहले छात्र पीजी करने के बाद नेट क्वालीफाई करते थे जिसके बाद पीएचडी में दाखिला मिलता था।

या फिर कुछ कॉलेज यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के जरिए भी पीएचडी में दाखिला देते थे। देश में इसके जरिए 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को बढ़ाने की पहल की गई है। नए पीएचडी दाखिला नियमों से 40 फीसद सीटें यूनिवर्सिटी स्तर के एंट्रेंस टेस्ट से भरी जाएंगी। इसके अलावा यूजीसी, सीएसआईआर, आईसीएमआर, आईसीएआर आदि द्वारा आयोजित कराए जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के प्रवेश परीक्षा से भी पीएचडी की रिक्त सीटों को भरा जाएगा। विद्यार्थी का पीएचडी के लिए चयन साक्षात्कार, वाइवा और मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जाएगा। हालांकि यूजीसी नेट क्वालीफाई करने वाले कंडीडेट के पीएचडी दाखिले पर कोई नई सूचना जारी नहीं की गई है।

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