जेएनयू प्रशासन से नाराज हुए छात्र, कहा विश्वविद्यालय वापस ले तुगलकी फरमान
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| जेएनयू में पढ़ने वाले छात्र इन दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन से नाराज हैं। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय ने एक बार फिर से जेएनयू के छात्रों के विरुद्ध तुगलकी फरमान जारी किया है। छात्रों के मुताबिक प्रशासन ने 'जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम' नाम कि एक नियम प्रणाली बनाई है, जिसमें उन्होंने ये बताया कि अब जेएनयू में छात्र कैसे रहेंगे। इस नए नियम में छात्रों के मौलिक अधिकार भी छीन लिए गए हैं।
नए नियमों के अंतर्गत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में धरना-प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर 20 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन, धरना प्रदर्शन करने वाले छात्रों का एडमिशन भी रद्द कर सकता है। इसके अलावा यदि कोई छात्र हिंसा से का दोषी पाया जाता है तो उस पर 30 हजार रुपए तक का जुमार्ना लगाया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसको लेकर बकायदा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। यह दिशानिर्देश 'अनुशासन और आचरण के नियम' शीर्षक से जारी किए गए हैं।
छात्र संगठन एबीवीपी का कहना है कि वर्तमान प्रशासन के कार्यकाल में जेएनयू के हॉस्टल्स की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है। छात्रों के सर पर होस्टल के छत का हिस्सा गिर जाता है। विज्ञान की पढ़ाई वाले स्कूल को पूरी तरीके से नजरंदाज किया जा रहा है। लैब्स की हालत चिंतनीय है। यही कारण है कि अपनी नाकामी को छुपाने के लिए जेएनयू प्रशासन हर महीने कुछ न कुछ ऐसा कदम उठा लेती हैं कि यहां के छात्रों और बाहर बैठे लोगों का ध्यान इन बातों पर केंद्रित न हों और वे उन्हीं चीजों में उलझे रहे।
मामले की गंभीरता को समझते हुए एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा कि पहली नजर में ही इस नए नियम को देखकर ऐसा प्रतीत होता है की ये एक तानाशाह द्वारा जारी किया गया फरमान हो। छोटे-मोटे अपराधों के लिए भारी दंड, सजा और जुर्माना लगाया गया है। प्रदर्शन करने, किताब की फोटोकॉपी करने, सही मुद्दों को उठाने जैसी लोकतांत्रिक गतिविधियों के लिए भी जुर्माना और दंड लगाया गया है।
एबीवीपी जेएनयू के विकास पटेल ने कहा कि इस नई तुगलकी फरमान की कोई आवश्यकता नहीं है, इसके लिए पुराने नियम पर्याप्त रूप से प्रभावी है।
--आईएएनएस