नई दिल्ली (आईएएनएस)। अंतरिक्ष उद्योग ने बुधवार को भारत के चंद्रमा के सतह के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 लैंडर को सफलतापूर्वक उतारे जाने पर इस ऐतिहासिक उपलब्धि की जमकर सराहना की। 40 दिनों से अधिक समय तक लगभग 3.84 लाख किमी की यात्रा करने के बाद लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतर गया।
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) ने कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि अंतरिक्ष की बढ़ती पहुंच को रेखांकित करती है और चुनौतीपूर्ण अभियानों को पूरा करने में भारत के अटूट संकल्प और दृढ़ता को प्रदर्शित करती है।
एसोसिएशन ने कहा, “इसके अलावा, यह चंद्रमा पर स्थायी संरचनाएं स्थापित करने के मकसद से उभरते ल्यूनगर एक्सप्लोरेशन युग में भारत की भागीदारी के लिए सकारात्मक संकेत है।”
14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा से लांच किए गए चंद्रयान-3 मिशन में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रमुख घटक हैं।
हालांकि इसरो के इस मिशन में कई निजी कंपनियों ने योगदान दिया है -- जैसे लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी), वालचंदनगर इंडस्ट्रीज, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स, गोदरेज एंड बॉयस और अनंत टेक्नोलॉजीज।
“सफल लैंडिंग भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमता को दर्शाती है और भारत को पूरी दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल करती है जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा, यह निजी क्षेत्र के लिए रोमांचक अवसरों का भी अग्रदूत है।
अनंत टेक्नोलॉजीज (एटीएल) के संस्थापक और सीएमडी डॉ सुब्बा राव पावुलुरी ने कंपनी को मौका देने के लिए इसरो का आभार व्यक्त किया।
हैदराबाद में मुख्यालय वाली यह कंपनी इसरो के सभी लॉन्च वाहन और उपग्रह मिशनों में योगदान दे रही है।
एटीएल ने इस मिशन के लिए कई एवियोनिक्स पैकेजों के निर्माण में भाग लेकर चंद्रयान -3 लॉन्च वाहन (एलवीएम3) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
“हम भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की पहल और अन्य रणनीतिक कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण प्रगति करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। पावुलुरी ने कहा, एटीएल देश की आत्मनिर्भरता हासिल करने की आकांक्षा में एक भागीदार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
अशोका विश्वविद्यालय के कुलपति सोमक रायचौधरी ने कहा कि यह सभी भारतीयों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
रायचौधरी ने कहा, "चंद्रयान-3 हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयास की परिणति है और साथ ही, यह हमारे देश के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।"
उन्होंने कहा, "नई अंतरिक्ष नीति, आगामी मिशन जैसे आदित्य-एल1, गगनयान और मंगल और उससे आगे के भविष्य के मिशनों के साथ, हम अंतरिक्ष की अब तक अज्ञात सीमाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं।"