नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा के आरोपियों उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि शाहीन बाग का प्रदर्शन नानी और दादी का नहीं था जैसा कि प्रचारित किया गया. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच जमानत याचिकाओं पर अब 8 अगस्त को सुनवाई करेगी. गुरूवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन शरजील इमाम की ओर से एक सुनियोजित तरीके से जुटाए गए संसाधनों से आयोजित किया गया था. प्रसाद ने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर समर्थकों की संख्या काफी कम थी. कलाकारों और संगीतकारों को बाहर से लाया जाता था ताकि स्थानीय लोग लगातार प्रदर्शन में हिस्सा लेते रहें.
2 अगस्त को दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि 13 दिसंबर 2019 को सबसे पहली हिंसा हुई. ये हिंसा शरजील इमाम की ओर से पर्चे बांटने की वजह से हुई. अमित प्रसाद ने 13 दिसंबर को शरजील इमाम द्वारा जामिया में दिए भाषण का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषण में साफ कहा गया कि उसका लक्ष्य चक्का-जाम था. इस जाम के जरिए दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित करना था. शरजील के भाषण के तुरंत बाद दंगा भड़का. उसके बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन का स्थल बनाया गया. बता दें कि अमित प्रसाद 1 अगस्त से दलीलें रख रहे हैं. बता दें कि हाईकोर्ट उमर खालिद की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर 22 अप्रैल से सुनवाई कर रहा है.
24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई है. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काला धन को सफेद करने का काम किया. अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई. इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था.