प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने ICICI Bank की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर का मामला SEBI को भेजा
दिल्ली: प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर से संबंधित मामले को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास भेज दिया है। यह मामला नियामक द्वारा कोचर को भेजे गए संशोधित कारण-बताओ नोटिस से संबंधित है। नियामक ने यह नोटिस सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण की रिपोर्ट के विश्लेषण के बाद भेजा था। श्रीकृष्ण समिति को आईसीआईसीआई बैंक में एक-दूसरे को कथित रूप से लाभ पहुंचाने के लेनदेन की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट जनवरी, 2019 में सौंपी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया कि कोचर ने बैंक की नीतियों और अन्य नियमों और नियमनों का उल्लंघन किया। कोचर बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) थीं। वह अक्टूबर, 2018 में बैंक से हट गई थीं। सैट ने एक अपील को खारिज करते हुए मंगलवार को पारित आदेश में कोचर से सेबी के पास दो सप्ताह में नए सिरे से अपील करने को कहा है। आवेदन मिलने के बाद सेबी इस बारे में उचित आदेश पारित करेगा।
नियामक ने मई, 2018 में आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को ऋण की मंजूरी या कर्ज सुविधा को लेकर हितों के टकराव के मामले में कोचर को कारण बताओ नोटिस भेजा था। कोचर ने अगस्त, 2018 में कारण बताओ नोटिस का विस्तृत जवाब दिया था। नवंबर, 2018 को उनकी व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया गया। दिसंबर, 2019 को कोचर ने इस बारे में लिखित में अपनी बात रखी थी। उसके बाद इस मामले में आदेश आरक्षित कर लिया गया था। बाद में नवंबर, 2020 को श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट के आधार पर कोचर को संशोधित कारण-बताओ नोटिस भेजा गया था।
सैट ने आईसीईएक्स की मान्यता रद्द करने के आदेश को खारिज किया: प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (आईसीईएक्स) की मान्यता रद्द करने के आदेश को खारिज कर दिया है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने एक साल के भीतर जरूरी कोष जुटाने सहित कुछ शर्तों के साथ आईसीईएक्स को राहत दी है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि ''जहाज में छेद होने से इसके डूबने की संभावना तो होती है, लेकिन जहाज को बचाया जा सकता है। '' इसी तरह एक्सचेंज को पुन: खड़ा करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए।''
अपीलीय न्यायाधिकरण ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कुछ शर्तों पर आईसीईएक्स को राहत दी है। शर्तों के मुताबिक, आईसीईएक्स पर कारोबारी परिचालन उस समय तक निलंबित रहेगा जब तक कि वह जरूरी कोष नहीं जुटा लेता और एक साल के भीतर सभी अनुपालन को पूरा नहीं कर लेता। इसके अलावा, सैट ने कहा कि आईसीईएक्स के निवेशक संरक्षण कोष (आईपीएफ) और निवेशक सेवा कोष में उपलब्ध धन का उपयोग केवल किसी भी दावे के निपटान के लिए किया जाएगा. यदि कोई दावा हो अन्यथा किसी अन्य उद्देश्य के लिए धन का उपयोग नहीं किया जाएगा। शर्तों के तहत यदि आईसीईएक्स अपेक्षित धन जुटाता है और एक वर्ष के भीतर सभी अनुपालन को पूरा कर लेता है, तो वह कारोबारी परिचालन फिर शुरू करने के लिए सेबी से संपर्क कर सकता है। यदि यह विफल हो जाता है, तो नियामक उसे सुनवाई का अवसर देने के बाद जिंस डेरिवेटिक एक्सचेंज के रूप में उसकी मान्यता का वापस ले सकता है। न्यायाधिकरण का यह निर्देश आईसीईएक्स के सेबी के 10 मई को पारित एक आदेश को चुनौती देने के बाद आया है। सेबी ने जिंस डेरिवेटिव एक्सचेंज के रूप में आईसीईएक्स की मान्यता वापस लेने का निर्देश दिया था। सेबी ने नेटवर्थ के मोर्चे पर कमी और अन्य अनुपालन को पूरा नहीं करने के लिए एक्सचेंज की मान्यता समाप्त की थी। सेबी ने अपने आदेश में कहा कि नवंबर, 2021 तक आईसीईएक्स की कुल नेटवर्थ 93.43 करोड़ रुपये था, जो जनवरी, 2022 तक घटकर 86.45 करोड़ रुपये रह गया। नियमों के अनुसार, प्रत्येक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के पास हर समय 100 करोड़ रुपये का न्यूनतम नेटवर्थ जरूरी है।