दिल्ली न्यूज़: प्रदूषण के बीच दिल्ली के स्कूल छोटे बच्चों के लिए बंद करने का फैसला लिया जा चुका है। दिल्ली में दिवाली के बाद हर साल प्रदूषण बड़ी दिक्कत है और स्कूल बंद करना हर साल का फैसला बन रहा है। मगर बड़ा सवाल यह है कि कि क्या घर पर बच्चे इस खतरनाक हवा से सुरक्षित हैं? एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्कूल बंद करना सबसे आसान तरीका है, असल हल निकालने के लिए सालभर काम करना होगा। स्कूल ही नहीं कई पैरंट्स का भी कहना है कि कोविड के बाद मुश्किल से पढ़ाई पटरी पर आई है, फिर त्योहारों की छुट्टियां और अब प्रदूषण, बच्चों की अकैडमिक ही नहीं उनकी फिजिकल एक्टिविटी को भी बंद कर रही है। कई पैरंट्स ऑनलाइन क्लासेज की बात कर रहे हैं मगर ज्यादातर पैरंट्स और स्कूल इससे सहमत नहीं हैं।
'स्कूल बंद करना पर्मानेंट उपाय नहीं'
नैशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस की चेयरपर्सन सुधा आचार्य कहती हैं, दिवाली के बाद यह स्थिति हर साल हम 6-7 साल से देख रहे हैं और स्कूल बंद कर दिया जाता है। अगर पराली से धुआं आ रहा, तो इतने सालों में इसका हल निकाला जाना चाहिए था। ट्रांसपोर्ट की वजह से तो इसके लिए भी काम करना चाहिए। स्कूल बंद करना तो परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है। हमें पैरंट्स तक कह रहे हैं कि घर की हवा और स्कूल की हवा में क्या अंतर है? हर घर में एयर प्यूरीफायर तो है नहीं। स्कूल आना-जाना दिक्कत है, तो बच्चे एन 95 मास्क लगाकर आ सकते हैं, हमने अपने बच्चों से यही कहा है। हमने आउटडोर एक्टिविटी पिछले डेढ़ हफ्ते से बंद कर दी है। कोविड के बाद बच्चे रूटीन में अब जाकर आए हैं और फिर से ऑनलाइन क्लासेज कर देना, उनकी लर्निंग के लिए बहुत खराब है।
हल निकालना सबसे ज्यादा जरूरी: आईटीएल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सुधा कहती हैं, स्कूल बंद होने से टाइमटेबल गड़बड़ाता है। बोर्ड के बच्चों का सिलेबस नवंबर तक पूरा किया जाता है। इसी महीने एनुअल डे, स्पोर्ट्स इवेंट होते रहे हैं। अब हम अपने स्कूल के अगले सेशन के कैलेंडर में नवंबर में कोई इवेंट-एक्टिविटी ही नहीं रखेंगे। एमआरजे स्कूल, रोहिणी की प्रिंसिपल अंशु मित्तल कहती हैं, हवा की क्वॉलिटी गंभीर रूप से बिगड़ रही है। स्थिति गंभीर है, बच्चों के लिए यह खतरनाक भी है। स्कूलों को बंद करने का फैसला मजबूरी है, बशर्ते बच्चे सिर्फ घर पर ही रहें। हालांकि, प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हल निकाला जाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
'टाइमिंग कम करने, आउटडोर एक्टिविटी बंद करने से भी फायदा नहीं'
दिल्ली के कई स्कूलों ने आउटडोर एक्टिविटी कुछ समय तक रोक दी है, हालांकि डॉक्टर्स का कहना है कि इससे फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि बच्चा सुबह सुबह स्कूल के लिए निकलता है, ट्रैफिक के बीच से गुजरता है। टाइमिंग दिन का भी कर दिया जाए, तो देखा जा सकता है कि दिन में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स सुबह जैसे ही बना हुआ है। एम्स के पल्मनलॉजिस्ट डॉ विजय हड्डा कहते हैं, बहुत साफ बात है कि बाहर की एक्टिविटी हर किसी को बंद करनी चाहिए, इसमें बच्चे भी शामिल हैं। मगर सवाल है एक्यूआई के किस लेवल तक बच्चे घर में बंद रहेंगे? हवा तो घर पर भी साफ नहीं है। प्रदूषण इतना खतरनाक है कि यह हमारे घर के अंदर तक है। बच्चे वहां भी बीमार हो रहे हैं। जिनके घर में एयर प्यूरीफायर है, उनके घर का एक्यूआई कुछ कम भी हो जाए मगर कितनी देर तक! और क्या पैरंट्स बच्चों को पूर दिन घर पर रख पाएंगे? हमें ध्यान देना चाहिए कि प्रदूषण सालभर है, बस तीन महीने सर्दियां उसे बढ़ा रही हैं।