एनसीआर नोएडा न्यूज़: स्कूली छात्र वाहन दौड़ते मिले तो 25 हजार रुपये का जुर्माना किया जाएगा. वाहन के दस्तावेजों की जांच होगी और बच्चों के अभिभावकों को परिवहन विभाग के दफ्तर बुलाया जाएगा. नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निजी स्कूलों के कुछ बच्चे बाइक पर चलते दिखते हैं. कोरोना काल से पहले परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम ने स्कूलों के बाहर जांच अभियान चलाया था और स्कूलों को निर्देश दिया था कि वे बच्चों व उनके अभिभावकों को समझाएं.
एआरटीओ प्रवर्तन प्रशांत तिवारी ने कहा कि नाबालिग बच्चों का वाहन चलाना उनके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. नाबालिक बच्चों के पास वाहन चलाने की दक्षता के लिए आवश्यक ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होता है. ऐसे में वाहन दौड़ते बच्चे कभी भी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद भी काफी समय तक स्कूल बंद थे. खुलने के बाद इसका कितना पालन हुआ है, इसकी अब जांच की जाएगी.
उन्होंने कहा कि स्कूलों के बाहर होली के बाद जांच अभियान चलाया जाएगा. बाइक या कार चलाकर पहुंचने वाले बच्चों के पहचान पत्र की जांच होगी. बच्चों के नाबालिक होने या उनके पास में ड्राइविंग लाइसेंस न मिलने पर जुर्माना किया जाएगा. यह अधिकतम 25 हजार रुपये हो सकता है. इसके अलावा बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर उनसे पूछताछ की जाएगी. उन्होंने बच्चों को वाहन क्यों दिया इसके बारे में उनसे पूछा जाएगा. बच्चों के लिए वाहन चलाना कितना खतरनाक हो सकता है, इसके बारे में उन्हें जानकारी दी जाएगी.
ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर पांच हजार का जुर्माना
एआरटीओ प्रवर्तन प्रशांत तिवारी ने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर पांच हजार रुपये का जुर्माना किया जाता है. इसके अलावा बाकी दस्तावेजों की कमी पर अलग-अलग जुर्माने का नियम है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र न होने पर दस हजार रुपये का जुर्माना किया जाता है.
छात्रों को इलेक्ट्रिक स्कूटी दिलवा रहे अभिभावक
कुछ अभिभावक बच्चों को इलेक्ट्रिक स्कूटी दिला रहे हैं. अभिभावकों को कहना है कि इनकी गति अधिक न होने के कारण बच्चे इन्हें तेज रफ्तार में नहीं दौड़ा सकते हैं. सुरक्षा के नजरिए से बच्चों के लिए यह बेहतर हैं. बड़ी कक्षा के छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि इलेक्ट्रिक स्कूटी दिलवाने के कारण बच्चों को स्कूल छोड़ने और वापस घर लाने की चिंता उन्हें नहीं रहती है.
बच्चों की सुरक्षा अभिभावकों की जिम्मेदारी
एआरटीओ प्रवर्तन अजय मिश्र ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा अभिभावकों की जिम्मेदारी है. बच्चे यदि जिद करते हैं, तब भी उन्हें बाइक या कार चलाने न दें. इसके अलावा स्कूल प्रबंधक को भी इसकी जांच करनी चाहिए कि कौन-कौन बच्चे निजी वाहन चलाकर स्कूल आते हैं. स्कूलों को इन बच्चों के अभिभावको को बुलाकर समझाना चाहिए.