सुप्रीम कोर्ट पीड़िताओं के लिए पैनल बना सकता है; एजेंसी से कहा- सुनवाई तक इंतजार करें
एजेंसी से कहा- सुनवाई तक इंतजार करें
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मणिपुर के वायरल वीडियो केस में पीड़ित महिलाओं के बयान रिकॉर्ड करने पर रोक लगा दी है। अदालत ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वो CBI से आज होने वाली सुनवाई तक इंतजार करने को कहें।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा िक अभी CBI स्टेटमेंट रिकॉर्ड ना करे। आज 2 बजे मामले की सुनवाई होनी है। देखते हैं क्या नतीजा निकलता है। तब तक एजेंसी इंतजार करे।
लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट महिलाओं का स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने के लिए एक पैनल भी बना सकता है। इस मामले पर सोमवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया था कि हाई पावर कमेटी मामले की जांच करे, जिसमें महिलाएं भी हों।
दलील दी थी- CBI अगर जांच करती है तो क्या महिलाएं सामने आएंगी, यह हम नहीं जानते। महिलाएं अपनी बात महिलाओं से साझा करने में ज्यादा सहज होंगी।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया गया है।
कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से पूछा था- कितनी FIR हुईं
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद अब तक कितनी FIR दर्ज की गई हैं। कोर्ट ने कहा कि यह इकलौती घटना नहीं है। दूसरी महिलाओं के साथ भी ऐसा हुआ। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मसलों के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा।
दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले की CBI जांच का विरोध किया। कुकी समुदाय की ओर से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेज ने कहा कि इस मामले की जांच SIT करे। इसमें रिडायर्ड डीजीपी को शामिल किया जाए।
सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच एक हाई पावर कमेटी करे। इनमें ऐसे केस देखने वाली महिलाओं को शामिल किया जाए।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया गया है।
FIR पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल, केंद्र का जवाब
सुप्रीम कोर्ट- घटना 4 मई को हुई और FIR 18 मई को दर्ज की गई। 14 दिन लग गए जीरो FIR दाखिल करने में? पुलिस कर क्या रही थी?
केंद्र सरकार- सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट चाहे तो मॉनिटरिंग कर सकता है। यहां हो या वहां, जो कुछ भी सामने आ रहा है, भयानक ही है।
इमेज महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने की घटना की है। ये घटना 4 मई को हुई और वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था।
इमेज महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने की घटना की है। ये घटना 4 मई को हुई और वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था।
कोर्ट रूम में किसने क्या कहा...
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह साफ है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की साजिश कर रहे हैं। पुलिस इन महिलाओं को ले गई और भीड़ में छोड़ दिया। इसके बाद भीड़ ने वो किया, जो सामने आया है।
दोनों में से एक के पिता और भाई को कत्ल कर दिया गया। अभी तक उन्हें बॉडी नहीं मिली है। जीरो FIR दर्ज की गई और वो भी 18 मई को। जब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की तो कुछ हुआ। हमारे पास अब किसका भरोसा है? ऐसी कई घटनाएं हुई हैं।
केंद्र सरकार: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट यह मामला देखता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।
याचिकाकर्ता: साफ है कि ऐसे कई वाकये हुए हैं। हम CBI जांच के खिलाफ हैं। हम चाहते हैं कि एक स्वतंत्र एजेंसी इसकी जांच करे। लॉ ऑफिसर या अटॉर्नी जनरल निगरानी कैसे करेंगे और क्या निगरानी करेंगे? और अगर कोई पक्षपात हुआ तो?
सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक 595 FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से कितनी सेक्शुअल वॉयलेंस की हैं, कितनी आगजनी, हत्या की हैं। यह अभी स्पष्ट नहीं है। जहां तक कानून का सवाल है, तो रेप विक्टिम इस बारे में बात नहीं कर रही हैं। वो अभी तक अपने दुख से बाहर नहीं आ पाई हैं।
सबसे जरूरी चीज भरोसा पैदा करना है। CBI जांच शुरू करती है तो अभी हम यह नहीं जानते हैं कि महिलाएं सामने आएंगी। महिलाएं पुलिस की बजाय महिलाओं से ही बात करने में ज्यादा सहज महसूस करेंगीं। इसके लिए एक हाईपावर कमेटी बनाई जाए और उसमें ऐसी महिलाओं को शामिल किया जाए जिन्हें इस तरह के मामलों का अनुभव हो।
कुकी समुदाय: वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेज ने CBI जांच का विरोध किया और कहा कि इस मामले की जांच SIT और रिटायर्ड DGP से कराई जाए। इसमें मणिपुर के किसी आर्मी अफसर को ना शामिल किया जाए।
एक अन्य याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा- इंफाल में दो महिलाएं कार वॉश में काम करती थीं। भीड़ आई, उन्हें टॉर्चर किया और मर्डर किया। परिवार कैंप में है। मां ने FIR दर्ज की। FIR दर्ज होने के बाद सब कुछ रुक गया। 18 साल की लड़की का गैंगरेप भी हुआ। हो सकता है कि दोनों समुदायों के खिलाफ सेक्शुअल वॉयलेंस हुआ हो, लेकिन मुझे पता है कि कुकी महिलाओं को निशाना बनाकर हमला किया जा रहा है और यह अल्पसंख्यक हैं।
केंद्र सरकार: किसी भी समुदाय का नाम इस तरह से लिया जाना सही नहीं है। सांप्रदायिक तनाव को हवा नहीं दी जानी चाहिए।
सभी पीड़ित महिलाओं की ओर से याचिकाकर्ता: इंदिरा जय सिंह ने कहा- इसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जाए। रिलीफ कैंपों का क्या हाल है, इसकी रिपोर्ट आने दीजिए।
वकील- मणिपुर में जो हुआ वो बंगाल और राजस्थान में भी हो रहा है। पंचायत कैंडिडेट को बंगाल में निर्वस्त्र घुमाया गया।
सुप्रीम कोर्ट- यह हमारे समाज की सच्चाई है, लेकिन मणिपुर में जो हुआ, उसे सिर्फ यह कह देने से सही नहीं ठहराया जा सकता कि यह हर जगह हो रहा है। क्या आप यह कहना चाह रहे हैं कि सभी महिलाओं की रक्षा करो या फिर किसी की ना करो?
मणिपुर में महिलाओं पर हिंसा अभूतपूर्व- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं पर हिंसा मामले क अभूतपूर्व बताया। साथ ही कहा कि पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल (विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्य) में महिलाओं पर हिंसा के मामलों की सुनवाई मणिपुर के साथ नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर में जातीय हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। वकील बांसुरी स्वराज ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं पर हुई हिंसा की याचिका को भी इसमें शामिल करने को कहा। बांसुरी ने कहा- भारत की बेटियों को सुरक्षा की जरूरत है। मणिपुर में जिस तरह की घटना (महिलाओं को निर्वस्त्र) सामने आई थी, वैसी ही घटनाएं बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल में भी हुईं। बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया और कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा भड़की हुई है। इसमें दो राय नहीं कि पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। मणिपुर में हुई महिलाओं पर अत्याचारों को अन्य राज्यों में महिलाओं के साथ हुई घटनाओं के बराबर नहीं कहा जा सकता। अभी सिर्फ मणिपुर पर ही बात होगी।
I.N.D.I.A गठबंधन ने की हिंसा पीड़ितों से मुलाकात, गवर्नर से भी मिले, कहा- स्थिति गंभीर
विपक्षी दलों के 21 सांसदों ने रविवार को मणिपुर की गवर्नर अनुसुया उइके से मुलाकात की।
विपक्षी दलों के 21 सांसदों ने रविवार को मणिपुर की गवर्नर अनुसुया उइके से मुलाकात की।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी: सरकार स्थिति को समझ नहीं रही है, म्यांमार के साथ केवल 75KM सीमा पर बाड़ लगाई गई है और उसके बाद चीन है। यह चिंताजनक स्थिति है। मैं राजनीति नहीं कर रहा हूं। यह अब देश के लिए चिंता का विषय है।
TMC की सुष्मिता देब: मणिपुर में स्थिति काफी गंभीर है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को इस्तीफा देना चाहिए।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई: NDA गठबंधन और PM मोदी को भी मणिपुर का दौरा करना चाहिए। उनके मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं। उन्हें वहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए वहां जाना चाहिए।
I.N.D.I.A के 21 सांसदों ने मणिपुर की गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की। मुलाकात के बाद सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्ठी उन्हें सौंपी। मांग की है कि राज्यपाल सरकार से कहें कि राज्य में हो रही हिंसा को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएं। विपक्षी सांसदों ने कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी दिखाती है कि वो गंभीर नहीं हैं।
अवैध अप्रवासियों की बायोमीट्रिक काउंटिंग जारी
मणिपुर में म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों का बायोमीट्रिक डाटा लिया जा रहा है।
मणिपुर में म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों का बायोमीट्रिक डाटा लिया जा रहा है।
सरकार अब अवैध प्रवासियों की बायोमीट्रिक काउंटिंग करा रही है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि बायोमीट्रिक काउंटिंग के नाम पर सरकार कुकी आदिवासियों के मोरेह शहर में मैतेई समुदाय के सुरक्षाबलों की तैनाती कर रही है।
इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने कहा है कि अगर 31 जुलाई शाम 6 बजे तक मोरेह से मैतेई सिक्योरिटी फोर्सेज को नहीं हटाया जो प्रदर्शन करेंगे। पिछले दिनों म्यांमार से मणिपुर में 718 अवैध प्रवासी दाखिल हुए थे।
उधर, केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि मणिपुर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव पास हुआ है। जिसमें इंफाल में दुनिया का सबसे ऊंचा ध्वजस्तंभ लगाने की बात कही गई है।
मणिपुर में 16 जिले, सबसे ज्यादा हिंसा इंफाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी में...
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा मौतें
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 3-5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई थी। 16 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से हिंसक झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह...
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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मणिपुर में हिंसा शुरू हुए ढाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं। जल चुके 120 से ज्यादा गांव, 3,500 घर, 220 चर्च और 15 मंदिर हिंसा की निशानी के तौर पर खड़े हैं। इस तबाही में खाली स्कूल और खेत भी जुड़ चुके हैं। अब स्कूलों के खुलने का वक्त है और खेतों में बुआई का