राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप का आग्रह, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाएं
इम्फाल (आईएएनएस)| दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र थिंक टैंक राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप (आरआरएजी) ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मणिपुर में 6 मई को अनुच्छेद 355 लागू होने के बावजूद जातीय हिंसा रुक नहीं पाने के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करने का आग्रह किया। आरआरएजी के निदेशक सुहास चकमा ने कहा कि मेइती को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मणिपुर उच्च न्यायालय के फैसले पर कुकी आदिवासियों के विरोध के बाद 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा में 80 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 250 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
आरआरएजी मानवाधिकारों का हनन रोकने के उद्देश्य से जोखिम का विश्लेषण करता है।
मणिपुर में लगभग 26,000 लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित किया गया है, जबकि सुरक्षा के लिए अन्य 50,000 लोगों को उनके समुदायों के भीतर स्थानांतरित किया जाना था।
चकमा ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू करना तत्काल जरूरी है, क्योंकि तब केंद्र सरकार एक तटस्थ और स्वीकार्य प्राधिकरण के रूप में हिंसा को रोकने के लिए अंतर-सामुदायिक संवाद शुरू कर सकती है।
उन्होंने कहा, लगभग 50,000 लोगों का उनके संबंधित समुदायों के भीतर सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन 1947 में भारत के विभाजन के दौरान लोगों के विस्थापन की याद दिलाता है।
--आईएएनएस