मोबाइल कंपनियों पर छापामारी, 6,500 करोड़ रुपये से अधिक आय का खुलासा

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शुक्रवार को बताया,

Update: 2021-12-31 17:19 GMT

नई दिल्ली, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शुक्रवार को बताया कि आयकर विभाग ने 21 दिसंबर को विदेश से नियंत्रित कुछ मोबाइल कम्युनिकेशन व हैंडसेट निर्माता कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों पर छापेमारी की थी। इसमें कथित तौर पर 6,500 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता चला है। छापेमारी की यह कार्रवाई कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर स्थित परिसरों में की गई थी।

आयकर विभाग के नीति-निर्धारक निकाय सीबीडीटी ने एक बयान जारी कर बताया, 'छापेमारी में यह उजागर हुआ कि दो बड़ी कंपनियों ने विदेश में स्थित अपनी ग्रुप कंपनियों को और उनकी ओर से रायल्टी के नाम पर 5,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेजी थी। कार्रवाई के दौरान एकत्रित तथ्यों एवं साक्ष्यों की रोशनी में ऐसे खर्चो के दावे उचित प्रतीत नहीं होते।'
बयान में इन कंपनियों की पहचान उजागर नहीं की गई है, लेकिन बताया गया है कि छापेमारी से मोबाइल हैंडसेट्स के उत्पादन के लिए उपकरणों की खरीद का तरीका उजागर हो गया है। साथ ही यह भी पता चला है कि उपरोक्त दोनों कंपनियों ने सहयोगी कंपनियों के साथ लेनदेन उजागर करने के लिए बने आयकर अधिनियम के अनिवार्य नियमों का अनुपालन भी नहीं किया था। आयकर अधिनियम के तहत इस उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रविधान है और उन पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया जा सकता है।सीबीडीटी ने कहा, 'सहयोगी कंपनियों इत्यादि की ओर से खर्चो और भुगतान को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के साक्ष्य भी संज्ञान में आए हैं जिनकी वजह से भारतीय मोबाइल हैंडसेट निर्माता कंपनी के करयोग्य लाभ में कमी हो गई थी। यह राशि 1,400 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।' बयान में दावा किया गया है कि छापेमारी में शामिल एक कंपनी ने भारत स्थित अन्य कंपनी की सेवाओं का इस्तेमाल किया था, लेकिन उसने अप्रैल, 2020 से लागू स्त्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के प्रविधान का अनुपालन नहीं किया था। इस मामले में टीडीएस की देयता करीब 300 करोड़ रुपये हो सकती है।
छापेमारी की कार्रवाई में शामिल एक अन्य कंपनी के बारे में पता चला कि कंपनी के कामकाज का प्रबंधन पड़ोसी देश से किया जा रहा था। उक्त कंपनी के भारतीय निदेशकों ने स्वीकार किया कि कंपनी के प्रबंधन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी, वे सिर्फ नाम के निदेशक थे। इस बात के भी साक्ष्य मिले हैं कि करों का भुगतान किए बिना करीब 42 करोड़ रुपये के कंपनी के पूरे रिजर्व को भारत के बाहर ट्रांसफर करने के प्रयास किए गए। सीबीडीटी ने बताया कि छापेमारी की कार्रवाई कुछ फिनटेक और साफ्टवेयर सर्विस कंपनियों के खिलाफ भी की गई थी। इसमें पता चला कि ऐसी कई कंपनियों को खर्चो को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने व रकम का गबन करने के लिए बनाया गया था।
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