दिल्ली-एनसीआर को धुआं-धुआं करने में सबसे आगे पंजाब, पराली जलाने पर काबू पाने के दावों पर झूठ साबित

पराली जलाने का धुआं दिल्ली-एनसीआर का दम घोट रहा है।

Update: 2021-11-10 16:38 GMT

नई दिल्ली। पराली जलाने का धुआं दिल्ली-एनसीआर का दम घोट रहा है। इसके बावजूद पराली जलाने वालों पर काबू पाने के दावे अब भी झूठे साबित हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो सालों में पांच राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि पिछले साल के मुकाबले इसमें 37 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले इस साल 37.2 प्रतिशत की कमी आई, जबकि इसके विपरीत हरियाणा में 39.1 प्रतिशत अधिक पराली जलाई गई है।

वहीं, उत्तर प्रदेश में 9.7 प्रतिशत की कमी, राजस्थान में 66 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 71.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पराली जलाने का यह आंकड़ा 15 सितंबर से आठ नवंबर का है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं भले ही कम हुई हों,लेकिन पांचों राज्यों के मुकाबले यहां अब भी कई गुना अधिक पराली जलाई जा रही है। पराली जलाने की बजाय अन्य विकल्प अपनाने के लिए इस वित्त वर्ष 700 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था, इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं।
'टेर्रा, अक्वा और सुओमी' दिन-रात जुटा रहे आंकड़े
इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के प्रमुख डाक्टर टी महापात्र ने बताया, पराली जलाने की घटनाओं का सटीक आकलन करने के लिए तीन सेटेलाइट टेर्रा, अक्वा और सुओमी दिन-रात काम कर रहे हैं। उपग्रहों के हाई रिसोल्यूशन कैमरों की नजर से पराली जलाने की घटनाओं का छिपाया नहीं जा सकता है। उन्होंने माना कि पराली जलाने की घटनाओं में जितना सोचा गया था, उतनी कमी नहीं आई है।
सालों से प्रयास..फिर भी उत्साहजनक नतीजे नहीं
पराली को जलाने से रोकने के पिछले कई सालों से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अब तक 1726.67 करोड़ रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं। धान की खेती में मशीनों का प्रयोग, सब्सिडी वाली कई स्कीम और किसानों में जागरुकता के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कोशिशों के बावजूद नतीजे उत्साहजनक नहीं है।


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