दिल्ली क्राइम न्यूज़: हौजखास में किडनी रैकेट भंडाफोड़ मामले में पता चला है कि गिरोह का सरगना कुलदीप रे जो सिर्फ दसवीं पास है। वह रात के अंधेरे में हरियाणा के गोयना इलाके में किडनी ट्रांसप्लांट का काम करता था। 99 फीसद किडनी ट्रांसप्लांट कुलदीप रे करता था। उसका किडनी ट्रांसप्लांट करने में हाथ इतना साफ था कि अच्छे-अच्छे डॉक्टर भी हैरान रहते थे। उसका 100 फीसद सफल भी रहता था। बताया जा रहा कि किडनी ट्रांसप्लांट का काम गोयना के ऑपरेशन थियेटर में होता था। उसके साथ ऑपरेशन के दौरान करीब 13 से 14 लोग होते थे। इसमें तीन से चार दिल्ली के डॉक्टर होते थे। बताया जा रहा है कि पिछले एक साल से यह किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चल रहा था। अब तक बताया जा रहा कि 20 से अधिक लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जा चुका है।
हर महीने गोयना स्थित ऑपरेशन थियेटर में दो लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता था। हालांकि अभी तक पुलिस चार ऐसे लोगों तक पहुंच गई है, जिन्होंने या तो किडनी ली है या दी है। इन सबके ऑपरेशन कुलदीप रे ने किए हैं। कुलदीप ने बताया कि वह अब तक करीब दो दर्जन ऑपरेशन कर चुका है। उसने दावा किया है कि उसके द्वारा किए गए सभी ऑपरेशन सफल रहे हैं। इसी कारण उसका यह रैकेट इतने दिन तक चलता रहा। पुलिस को पता चला है कि इस धंधे से इस गिरोह ने छह- सात करोड़ रुपए का लेन-देन किया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि अभी इस मामले में और भी लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं। आरोपितों ने कई शहरों में अपना नेटवर्क फैला रखा है। आरोपित कुलदीप ने बताया कि उसने ओटी टेक्नीशयन की नौकरी के दौरान पिछले 20 सालों में सैकड़ों आपरेशन देखे हैं। उसने ज्यादातर समय यूरोलॉजी ओटी में काम किया है। वहीं, दिल्ली के बीएलके अस्पताल के एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. सौरभ मित्तल के सहयोग से भी उसने काफी काम सीख लिया है।
डोनर को देते थे केवल तीन से पांच लाख: किडनी रिसीवर से वह 40 से 70 लाख रुपए लेता था। वहीं, डोनर को सिर्फ तीन से पांच लाख रुपए देता था। रिसीवर से पांच लाख रुपए एडवांस लेकर डोनर की तलाश शुरू करता था।
ओटी टेक्नीशियन का ऑपरेशन देख डॉक्टर भी हैरान: पुलिस ने बताया कि कुलदीप को मेडिकल के क्षेत्र में और विशेषकर यूरोलॉजी व किडनी आदि के बारे में इतनी जानकारी है कि डॉक्टर भी उसका ऑपरेशन देख हैरान रह जाते थे। अपनी नॉलेज के सहारे ही आरोपित ओटी में ऑपरेशन दौरान डॉक्टर के काम में टोका- टाकी करता था। इस कारण कुछ डॉक्टरों से तो उसकी बनती थी। लेकिन ज्यादातर डॉक्टर उससे परेशान हो जाते थे।