पुलिस ने एक शातिर चोर को किया गिरफ्तार, सोना पिघलाकर बनाता था गहने

Update: 2022-06-25 13:31 GMT

दिल्ली क्राइम न्यूज़: चोर पहले गैंग के साथ घरों में रेकी करने के बाद चोरी करता,फिर चोरी के सोने के गहनों को साथी की सहायता से मेरठ में जौहरी को सस्ते दामों में बेच दिया करता था। जौहरी भी पकड़े जाने के डर से गहनों को पिघला दिया करता था। रोहिणी जिले के विजय विहार थाना पुलिस ने चोर और चोरी का सामान खरीदने वाले को गिरफ्तार किया है। जिनके कब्जे से 59 ग्राम पिघला हुआ सोना और वारदात में इस्तेमाल स्कूटी जब्त की है। पुलिस आरोपितों के बाकी साथियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। डीसीपी प्रणव तायल के अनुसार, आरोपितों की पहचान राजेश उर्फ रिंकू उर्फ कंसतर और चंद्रशेखर के रूप में हुई है। चंद्रशेखर चोरी का सामान खरीदता था। राजेश राजपार्क पुलिस का घोषित बदमाश है। वह 95 वारदातों में शामिल रहा है। जबकि चंद्रशेखर चार वारदातों में शामिल रहा है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीते दस जून को विजय विहार इलाके में एक घर से लाखों के गहने चोरी हुए थे। अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस की तीन टीमों को आरोपितों को पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया। पुलिस टीमों ने वारदात के आने जाने वाले रूट पर लगे दर्जनों सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगालकर आरोपितों की पहचान करने की कोशिश की। कई संदिगधों से पूछताछ की गई। तिहाड़ जेल से बाहर आए बदमाशों की लिस्ट बनाकर उनकी फोन लोकेशन के बारे में जानने की कोशिश की।

काफी मशक्कत के बाद राजेश उर्फ रिंकू को मंगोलपुरी इलाके से गिरफ्तार किया। आरोपित से पूछताछ करने पर पता चला कि उसने चोरी के गहने मेरठ यूपी में रहने वाले चंद्रशेखर को बेच दिये थे। उसकी निशानदेही पर शताब्दी नगर, सेक्टर 4सी, परतापुर, मेरठ में घेराबंदी कर उसे भी गिरफ्तार किया। चंद्रशेखर की निशानदेही पर 59ग्राम पिघला हुआ सोना जब्त किया। पुलिस दोनों से पूछताछ के बाद सह आरोपित भोमाराम उर्फ पवन उर्फ राजू की तलाश में छापेमारी कर रही है। आरोपितों से पूछताछ करने पर पता चला कि राजेश अपने साथी भोमाराम के साथ मिलकर इलाको में रेकी कर जानने की कोशिश करते थे। किस घर के लोग साप्ताहिक व दो से तीन दिनों तक बाहर गए हैं। जानकारी पुख्ता होने के बाद दोनों उसी घर के ताले तोड़कर घर में रखे सोने के गहने चोरी कर लिया करते थे। बाद में गहनों को चंद्रशेखर को मेरठ जाकर बेच दिया करते थे। जिससे वह पकड़े ना जाए। चंद्रशेखर भी पकड़े जाने के डर से तुरंत गहनों को पिघला दिया करता था।

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