नोएडा न्यूज़: डेंगू का सीजन शुरू होने से पहले जिला अस्पताल में प्लेटलेट्स न मिलने की समस्या खत्म हो जाएगी. मरीजों को प्लेटलेट्स और रक्त के अन्य अव्यव मिलने शुरू हो जाएंगे. सेक्टर 30 की इमारत में यह सुविधा नहीं है. ऐसे में रोगी निजी अस्पताल और रोटरी ब्लड बैंक पर निर्भर रहते हैं.
जिले में हर साल डेंगू के बड़ी संख्या में रोगी मिलते हैं. डॉक्टरों के अनुसार 30 से 35 फीसदी रोगियों में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. सेक्टर 30 स्थित बाल चिकित्सालय, ग्रेटर नोएडा के जिम्स और निजी अस्पतालों में प्लेटलेट्स की सुविधा होने के कारण मरीजों को दिक्कत नहीं होती है. वहीं, जिला अस्पताल के रोगी प्लेटलेट्स के लिए परेशान रहते हैं. रोगियों को सेक्टर 31 स्थित रोटरी के चैरिटेबल ब्लड बैंक या निजी अस्पताल से इसकी यवस्था करनी पड़ती है.
अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. एचएम लवानियां ने कहा कि जिला अस्पताल में रक्त की व्यवस्था है लेकिन मशीन न होने के कारण अव्यव की सुविधा नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोर मरीजों के लिए पर्चे पर लिख दिया जाता है, जिसके बाद उन्हें रोटरी के चैरिटेबल ब्लड बैंक से रियायत मिल जाती है. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल की सेक्टर 39 स्थित नई इमारत स्थानांतिरत होने के बाद रक्त से अव्यव अलग करने वाली मशीन मिलेगी. इन अवयवों में मरीजों के लिए जरूरी पीआरबीसी, क्रायोप्रेसिपिटेट, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा शामिल है.
डेढ़ माह में स्थानांतरित होगा अस्पताल
अस्पताल के कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार ने कहा कि बजट मिलने के बाद अब बिजली की लाइन बिछने का कार्य पूरा होना है. उन्होंने कहा कि संभावना है कि एक से डेढ़ माह में नई इमारत में सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल से सभी चिकित्सा सेवाएं स्थानांतरित हो जाएंगी. इसके बाद मरीजों को एक छत के नीचे ओपीडी, ऑपरेशन, पैथोलॉजी समेत सभी तरह की चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी. पैरामेडिकल स्टाफ बढ़ने पर इलाज की कुछ नई सुविधाएं भी शुरू होंगी.
नए लाइसेंस के लिए होगा आवेदन
पैथोलॉजिस्ट डॉ.एचएम लवानियां ने कहा कि सेक्टर 39 की नई इमारत में ब्लड बैंक के लिए नए लाइसेंस का आवेदन होगा. टीम पैथोलॉजी और ब्लड बैंक की नाप लेगी, जिसके बाद प्रक्रिया पूरी करके लाइसेंस जारी होगा. उन्होंने कहा कि इसके बाद शासन से रक्त के अव्यव की मशीन उपलब्ध कराई जाएगी. पूरी प्रक्रिया में अधिकतम एक महीना लग सकता है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में 200 यूनिट की क्षमता वाला ब्लड बैंक है, जिसमें हर माह औसतन 18 यूनिट और कभी कभार इससे अधिक रक्त की खपत होती है. रक्त की खपत सर्जरी की संख्या पर निर्भर करती है.