अब दिल्ली से देवभूमि तक का सफर होगा आसान, जानिए चल रहे विकास कार्य के बारे में
ब्रेकिंग न्यूज़: रैपिड रेल कोरिडोर का कार्य काफी तेजी के साथ चल रहा है। इस रैपिड रेल प्रोजेक्ट के बनने के बाद ना ही केवल मेरठ, दिल्ली और गाजियाबाद समेत पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड के लोगों को भी बहुत फायदा होगा। रैपिड रेल का आखिरी स्टेशन मेरठ के मोदीपुरम में बनाया जा रहा है। इस स्टेशन का नाम मोदीपुरम स्टेशन है। यह स्टेशन नेशनल हाईवे-58 पर गाजियाबाद-माना अंडरपास उत्तराखंड पर बनाया जा रहा है। जिसकी वजह से इस देश की सबसे बड़ी रेल से एनसीआर और पश्चिम उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के लोगों को भी बड़ा फायदा होगा। इस देश के माध्यम से मोदीपुरम से दिल्ली तक का सफर केवल 55 मिनट में तय हो जाएगा। जिसको अभी 3 से 4 घंटे लगते हैं।
ऋषिकेश और देहरादून के लोगों के लिए कारगर साबित: इस प्रोजेक्ट के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मोदीपुरम रैपिड रेल स्टेशन का कार्य काफी तेजी के साथ चल रहा है। इसके तैयार होने के बाद दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश और देहरादून से आने वाले यात्रियों को बड़ा फायदा होगा और अच्छी सुविधा मिलेगी। इस प्रोजेक्ट के बनने के बाद घंटों का सफर मिनटों में तय हो जाएगा।
हस्तिनापुर से कुछ 38 किलोमीटर अंतिम स्टेशन: रैपिड रेल के माध्यम से उत्तराखंड से आने वाले लोगों के लिए बड़ी राहत होगी। इससे ना ही केवल समय की बचत होगी, बल्कि अन्य सुविधा का भी लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मेरठ के ऐतिहासिक स्थल हस्तिनापुर जाने वाले पर्यटकों के लिए भी रैपिड रेल काफी फायदेमंद साबित होगी। जिसका कारण यह है कि मोदीपुरम में बन रहे स्टेशन से हस्तिनापुर की दूरी केवल 38 किलोमीटर है।
मोदीपुरम स्टेशन की खासियत: मोदीपुरम स्टेशन की देखरेख करने वाले अधिकारी ने बताया कि इस स्टेशन पर एक एलिवेटेड होगा, जिसमें ग्राउंड के अलावा कनकॉर्से और प्लेटफॉर्म तीनों लेवल होंगे। कानकोर्स लेवल पर यात्रियों के लिए सुरक्षा जांच किओस्क और टिकट काउंटर होंगे। यह स्टेशन लगभग 215 मीटर लंबा और लगभग 33 मीटर चौड़ा होगा। ग्राउंड लेवल पर स्टेशन में आने और जाने के लिए दो प्रवेश और निकास द्वार होंगे। स्टेशन के प्लेटफार्म लेवल की ऊंचाई लगभग 17 मीटर होगी। स्टेशन का निर्माण 30 पिलर पर होगा। वर्तमान में 13 पिलर बन चुके हैं।