दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2023-24 में स्नातकोत्तर (पीजी) में दाखिले के लिए अब डीयू के छात्रों को भी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट (सीयूईटी) देना होगा। दाखिले के लिए पूरी तरह से सीयूईटी स्कोर को देखा जाएगा। बीते साल की तरह एंट्रेस और मेरिट से दाखिले नहीं होंगे। पीजी के हर कोर्स के आधार पर सीयूईटी का पेपर तैयार होगा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से ही पीजी के लिए भी सीयूईटी कराया जाएगा।
डीयू में बुधवार को अकादमिक परिषद की बैठक में पीजी में सीयूईटी से दाखिले के प्रस्ताव व पात्रता को चर्चा के बाद पास कर दिया गया। अब तक दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक छात्रों के लिए मेरिट और अन्य विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले छात्रों का दाखिला प्रवेश परीक्षा से होता था। लेकिन इस साल से पीजी में दाखिले के लिए प्रत्येक छात्र को सीयूईटी में बैठना ही होगा।
तीसरे सेमेस्टर के ये पाठ्यक्रम पारित: अकादमिक परिषद सदस्य डॉ आलोक रंजन पांडेय ने बताया कि बुधवार को हुई परिषद की बैठक में तीसरे सेमेस्टर के पचास से अधिक पाठ्यक्रमों को भी पास किया गया। इनमें स्पेनिश, पर्शियन, दर्शनशास्त्र, पत्रकारिता, अरेबिक, अंग्रेजी, बंगाली, तेलुगु, बीकॉम ऑनर्स, उर्दू, भूगोल, समाज कार्य, इतिहास, राजनीति शास्त्र, बॉयो केमिस्ट्री, फूड टेक्नोलॉजी समेत अन्य पाठ्यक्रम शामिल हैं। इसके साथ ही कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग के तहत स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में बीए ऑनर्स मनोविज्ञान को शुरू किए जाने की भी मंजूरी दे दी गई है। इस कोर्स की फीस 15,200 रुपये होगी। वहीं, डीयू में शुरु होने वाले अनिवार्य कौशल कोर्सेज को शुरू करने की भी मंजूरी परिषद ने दे दी है।
अब 160 नंबर का होगा पेपर का मूल्यांकन: परिषद सदस्य डॉ पांडेय ने बताया कि चार वर्षीय स्नातक प्रोग्राम के तहत अब 160 नंबर का होगा पेपर का मूल्यांकन। थ्योरी 90, आंतरिक 30 व सतत मूल्यांकन 40 अंकों का होगा। बीते साल तक थ्योरी पेपर का मूल्यांकन 75 अंकों और आंतरिक मूल्यांकन 25 अंक का होता था। इस तरह से पहले मूल्यांकन 100 अंकों का होता था। जो पेपर चार क्रेडिट का होगा उसका मूल्यांकन 160 अंकों का व जो पेपर दो क्रेडिट का है उसका मूल्यांकन 80 अंक का होगा।
डॉ. पांडेय ने बताया कि इस पर हमने अपनी लिखित असहमति दी। हमने इस पर इसलिए विरोध जताया कि अगले महीने से सेमेस्टर परीक्षा है और अब तक छात्रों को मूल्यांकन के विषय में बताया जा रहा है। यह जल्दबाजी में किया जा रहा है। डॉ पांडेय ने तदर्थ शिक्षकों के विस्थापन, प्रबंध समिति में डीयू के एक कार्यकारी परिषद के सदस्य को बनाना, तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने, ईडब्लयूएस की सीटों, कॉलेजों में समय पर सैलेरी नहीं मिलने जैसे मुद्दों को उठाया।