Noida: न्यू नोएडा के लिए 80 गांवों की जमीनों का होगा अधिग्रहण

मास्टर प्लान 2041 को शासन ने दी मंजूरी

Update: 2024-10-19 09:51 GMT

नोएडा: उत्तर प्रदेश सरकार ने बुलंदशहर और दादरी के करीब 80 गांवों की जमीन पर बनने वाले न्यू नोएडा के मास्टर प्लान 2041 को मंजूरी दे दी है। अब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। हालांकि, किस प्रक्रिया के तहत जमीन ली जाएगी, इसको लेकर फैसला होना बाकी है। जमीन अधिग्रहण के बाद लेआउट प्लान तैयार किया जाएगा।

इस शहर को दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंवेस्टमेंट रीजन (डीएनजीआईआर) नाम दिया गया है। नोएडा प्राधिकरण ने इस साल जनवरी में शासन के पास मास्टर प्लान को मंजूरी के लिए भेजा था। करीब दो सप्ताह पहले औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने भी इसका प्रस्तुतीकरण देखा था। इस प्लान को लेकर 19 आपत्तियां आई थीं, जिनका निस्तारण किया गया। नया नोएडा 209.11 वर्ग किलोमीटर में यानी 20 हजार 911.29 हेक्टेयर में बसाया जाएगा। इसके लिए 80 गांवों की जमीन अधिग्रहीत की जाएगी। जिसे नोटीफाइ किया जा चुका है।

प्राधिकरण के एसीईओ सतीश पाल ने बताया कि मास्टर प्लान को 12 जनवरी को मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया। वहां से मंजूरी मिल गई है। इसको चार फेज में पूरा किया जाएगा। वर्ष 2027 तक इसे 3165 हेक्टेयर जमीन में विकसित किया जाएगा। वर्ष 2027 से 2032 तक 3798 हेक्टेयर एरिया विकसित होगा।

नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. लोकेश एम का कहना है कि मास्टर प्लान की मंजूरी से संबंधित प्रस्ताव को बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। जमीन अधिग्रहण से संबंधित अन्य काम के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी, इसके लिए जल्द शासन स्तर पर बात की जाएगी। नए नोएडा एरिया में एक दफ्तर भी खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि नए नोएडा को 209 वर्ग किलोमीटर नए नोएडा को बसाया जाना है। डीएनजीआईआर मास्टर प्लान 2041 में 40 प्रतिशत भू उपयोग औद्योगिक, 13 प्रतिशत आवासीय और ग्रीन एरिया व रीक्रिएशनल एक्टिविटी के लिए 18 प्रतिशत प्रावधान किया गया है। डीएनजीआईआर को गौतमबुद्ध नगर के 20 और बुलंदशहर के 60 गांवों को मिलाकर बनाया गया है। इस शहर की आबादी छह लाख के आसपास होगी।

नोएडा में अधिकांश हिस्से की जमीन का अधिग्रहण धारा-4 और 6 के तहत जिला प्रशासन के जरिए किया गया। कुछ जगह किसानों से आपसी सहमति से जमीन ली गई। इसके अलावा यह भी विचार है कि गुरुग्राम की तर्ज पर सीधे डेवलपर को जमीन लेने का जिम्मा देते हुए लाइसेंस दिया जाए। इसमें प्राधिकरण उस एरिया का बाहरी विकास करेगा जबकि डेवलपर आंतरिक विकास। अधिकारियों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण नीति क्या होगी, इसके लिए शासन स्तर से गाइड लाइन जारी की जाएगी।

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