कैंपस हॉस्टल में कोई भी बाहरी छात्र नहीं रुक सकेगा, पहली बार फ्लाइंग स्क्वायड गठित
दिल्ली न्यूज़: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा और पहली महिला कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री डी पंडित ने कहा है कि अब कैंपस हॉस्टल में कोई भी बाहरी छात्र नहीं रुक सकेगा। हॉस्टल के नियमित निरीक्षण के लिए डीन ऑफ स्टूडेंट की अध्यक्षता में पहली बार फ्लाइंग स्कवायड गठित की गई है। इसमें चीफ प्रोक्टर समेत विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वार्डन की जिम्मेदारी तय की गयी है, ताकि हॉस्टल में नियमों का पालन और व्यवस्था बनी रहे। छात्र हित और उनकी निजता का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। इसी कारण विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति से छात्रों के मेहमानों को रुकने की अनुमति होगी। वहीं, जेएनयू का माहौल ठीक रखने के लिए कैंपस में किसी भी तरह के आयोजन, जन्मदिन या किसी अन्य प्रकार का जश्न की अनुमति अब नहीं मिलेगी। कैंपस से बाहर किसी भी तरह का छात्र आयोजन कर सकते हैं।
कुलपति प्रोफेसर पंडित ने कहा कि जेएनयू को टुकड़े-टुकडे गैंग की छवि से बाहर लाकर अकादमिक, रिसर्च, इनोवेशन क्षेत्र से जोड़ना है। जेएनयू की वर्षों से यहीं पहचान थी और उसे वापिस लाना मकसद है। जब जेएनयू को टुकड़े -टुकड़े गैंग कहा जाता है तो पूर्व छात्रा होने के नाते मुझे भी बेहद दुख होता है। जेएनयू का नाम भारतीय थल, जल, वायु सेना से भी जुड़ा हुआ है। क्योंकि उनके अधिकारी अपनी उच्च शिक्षा यहीं से करते हैं। भारतीय सेना के अधिकारियों के पास जेएनयू की डिग्री होती है। ऐसे में इस प्रकार के गलत उपनाम से सेना के मनोबल को भी ठेस पहुंचती है। कुछ छात्रों और संगठनों के चलते दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में शुमार जेएनयू को नाम इस तरह जोड़ने से गलत संदेश जाता है। हम सबकी जिम्मेदारी है कि पूर्व में जो भी हुआ, उसे भुलाते हुए जेएनयू को एक नई पह़चान दिलाना है। जेएनयू डीआरडीओ, होटल मैनेजमेंट और टूरिज्म में भी काम कर रहा है। हमारा लक्ष्य है कि जेएनयू एक बार फिर साइंस, रिसर्च और काम के लिए जाना जाए। कुलपति ने कहा कि 31 जुलाई तक 350 फैकल्टी और 800 कर्मियों के पदों को भरने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फैकल्टी यानी शिक्षकों के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। जबकि आठ सौ कर्मियों के पदों को शिक्षा मंत्रालय की ओर से एसएससी के माध्यम से भरा जाएगा। वहीं, दस सालों के बाद जेएनयू में 30 फैकल्टी को प्रमोशन दी गयी है। इसके अलावा 70 अन्य को भी प्राथमिकता के आधार पर प्रमोशन मिलेगी।
दिल्ली-एनसीआर के छात्रों को नहीं मिलेगा हॉस्टल में रूम: कुलपति ने कहा कि जेएनयू में हॉस्टल सीट बहुत अधिक नहीं है। देश के दूरदराज, ग्रामीण व बेहद निम्न परिवारों के छात्र यहां अपनी मेहनत से राष्ट्रीय दाखिला प्रवेश परीक्षा पास करके सीट पाते हैं। उन्हें हॉस्टल सीट प्राथमिकता के आधार पर मिलनी चाहिए। इसलिए हमने फैसला किया है कि आगामी सत्र में सीट केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के साथ-साथ राष्ट्रीय दाखिला प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर मिलेगी। इसका मकसद जिन छात्रों ने दाखिला प्रवेश परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया है, उनको भी सीट देना है। इसके अलावा पहले बाहरी राज्यों के छात्रों के लिए हॉस्टल सीट अलॉटमेंट की जाएगी। दिल्ली एनसीआर के छात्रों को हॉस्टल सीट देना प्राथमिकता नहीं है। वे अपने घरों से विश्वविद्यालय कैंपस में आकर पढ़ाई कर सकते हैं। छात्राओं को भी प्राथमिकता के आधार पर सीट मिलेगी। यदि उसके बाद कोई सीट खाली रहती है तो वह दिल्ली एनसीआर के छात्रों को मेरिट के आधार पर दी जाएगी।
कैंपस में हिंसा, मारपीट की कोई जगह नहीं: छात्रों, शिक्षकों और कर्मियों को कैंपस में रहने के तौर-तरीके बदलने होंगे। जेएनयू एक अकादमिक परिसर है। यहां हिंसा, मारपीट आदि की कोई जगह नहीं है। कैंपस में रहने के लिए सभी को नियमों का पालन करना जरूरी है। यदि कोई इन नियमों को तोड़ता है तो उसे विश्वविद्यालय नियमों के तहत सजा भी मिलेगी। पिछले दिनों 10 छात्रों को इसी मुद्दे पर कैंपस से निष्कासित कर दिया है। जब तक जांच रिपोर्ट आएगी, वे कैंपस में नहीं आ सकते हैं। भविष्य में यदि कोई भी नियमों को तोड़़ता है तो उसे कैंपस से बाहर कर दिया जाएगा।