नई दिल्ली: ऑटा मोबाइल डीलर व राष्ट्रीय बैंकों को चूना लगाने वाले आरोपित पुलिस की गिरफ्त में

Update: 2022-03-31 14:28 GMT

दिल्ली क्राइम न्यूज़ स्पेशल: देशभर के बड़े ऑटा मोबाइल डीलर व राष्ट्रीय बैंकों को चूना लगाने वाले हाईटेक ठगों के एक गैंग का उत्तरी जिला के साइबर थाना पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपितों की पहचान बागपत निवासी मनोज कुमार उर्फ मोनू (29), बेहटा-हाजीपुर, गाजियाबाद निवासी पंकज कुमार (28) और शाहदरा निवासी दीपक कुमार (26) के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपितों के पास से तीन मोबाइल फोन, दो अकाउंट और एक फर्जी आधार कार्ड बरामद किया है। पुलिस को मामले में विनय कुमार यादव उर्फ बबलू, हिमांशु पाल और अनुज कुमार उर्फ राजेश कसाना समेत अन्य लोगों की तलाश है। पुलिस इनकी तलाश में छापेमारी कर रही है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।

डीसीपी सागर सिंह कलसी ने गुरुवार को बताया कि पिछले दिनों उनकी टीम को गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल से एक शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता नरेंद्र सिंह ने बताया कि वह दिल्ली में एक बड़ी ऑटो मोबाइल कंपनी का डीलर है। पिछले दिनों उसके पास एक नामी कंपनी से ईमेल आया था। कंपनी ने नरेंद्र से एक बस खरीदने के लिए इच्छा जताई थी। इसके बाद नरेंद्र से बस खरीदने के लिए कुछ जानकारी मांगी थी। नरेंद्र ने अपने खाते ही जानकारी अपनी कंपनी के लेटरहेड और खाते ही जानकारी के लिए एक रद्द चेक ऑन लाइन उपलब्ध करा दिया। इसके कुछ ही दिनों बाद उसके बैंक खाते से 11.52 लाख रुपये ठग लिये गए। जांच में पता चला कि आरोपितों ने नरेंद्र का फर्जी लेटरहेड बनाकर बैंक को एक खाते में पेमेंट करने के लिए भेजा था। इसके लिए नरेंद्र के ही मेल आईडी से बिल्कुल मिलती-जुलती ईमेल आईडी बनाई गई। बाद में ट्रू-कॉलर पर नरेंद्र के ही नाम से सेव किए गए नंबर से बैंक अधिकारियों को कॉल की गई। इन सब की वजह से बैंक अधिकारी भी चकमा खा गए और उन्होंने लेटरहेट और कॉल के आधार पर रकम आरोपितों के खाते में ट्रांसफर कर दी। उत्तरी जिला के साइबर थाना पुलिस ने 28 मार्च को इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी।

एसआई रोहित सारसवत, रंजीत सिंह व अन्यों की टीम ने छानबीन शुरू की। जांच के दौरान उन खातों का पता लगाया गया, जिनमें रकम को ट्रांसफर किया गया था। इससे पता चला कि रकम दिल्ल से यूपी, बिहार होते हुए अलग-अलग खातों के बाद एटीएम से निकाल ली गई। इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी की जांच की। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि फर्जी आधार कार्ड के जरिये इन लोगों ने सैकड़ों सिमकार्ड जारी करवाएं हैं। उसके आधार पर आरोपितों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया। इसमें मनोज उर्फ मोनू, पंकज, दीपक अग्रवाल, विनय कुमार यादव उर्फ बबलू, हिमांशु पाल उर्फ हेमू और अनुज कुमार उर्फ राजेश कसाना व अन्य लोग शामिल हैं। अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर पुलिस की टीम ने बुधवार को मनोज उर्फ मोनू, पंकज और दीपक अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया।

ऐसे देते थे ठगी की वारदात को अंजाम: पुलिस की पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि यह लोग देशभर के बड़े ऑटो मोबाइल डीलर (कार, ट्रक, बस व दूसरे वाहन के विक्रेता) को बड़ी-बड़ी नामकी कंपनियों के नाम से ईमेल भेजते थे। आरोपित कुछ वाहनों को खरीदने की इच्छा जाहिर करते थे। उसके बदले वाहनों की डिटेल के साथ पीड़ितों के खाते की डिटेल भी मांगी जाती थी। इनके खाते की जानकारी मिलते ही आरोपियों को पता चल जाता था कि किन बैंक में पीड़ितों के खाते हैं। उसके फर्जी आधार कार्ड की मदद से लिये गए सिमकार्ड के नंबरों को ट्रू-कॉलर पर पीड़ितों के नाम से सेव करवा दिया जाता था। बाद में बैंक को पीड़ितों के फर्जी लेटर हेड से उनकी ईमेल से मिलती-जुलती मेल से ईमेल किया जाता था। इसके बाद ट्र-कॉलर पर सेव नंबरों से बैंक अधिकारियों को कॉल कर दिए गए खातों में तुरंत रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता था। बैंक अधिकारी इनके झांसे में आकर इनके बताए गए खातों में रुपये ट्रांसफर कर देते थे।

दिल्ली, कोलकाता, तेलंगाना और मथुरा में कर चुके हैं ठगी: पूछताछ के दौरान आरोपितों ने बताया कि यह लोग एक विशेष एप के जरिये फर्जी आधार कार्ड बनवाकर सिम जारी करवा लेते थे। फिलहाल इन लोगों ने करीब 100 से अधिक सिमकार्ड इश्यू करवाए हुए थे। इनकी मदद से दिल्ली में इन लोगों ने 11.52 लाख, मथुरा में 24.72 लाख, कोलकाता में 25 लाख और तेलंगाना में 35 लाख की ठगी कर चुके हैं।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पता चलेगा कि इन लोगों ने अब तक कितने लोगों को चूना लगाया है।

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