New Delhi: ईदगाह परिसर में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाये जाने को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हुई

भाजपा का आगामी चुनावों में सूपड़ा होगा साफ : सोमनाथ भारती

Update: 2024-09-28 07:56 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के ईदगाह परिसर में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाये जाने को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है।

आप विधायक सोमनाथ भारती ने कहा कि भाजपा की समस्या यह है कि उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया। देश की आजादी में जिन नगीनों ने हिस्सा लिया, उनका आदर तो वे लोग करना सीखें। अगर रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा वहां थी तो वह कोई मूर्ति नहीं है। वह देश की आजादी के साथ जुड़ी एक कहानी है। उसका सम्मान किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि इसी तरह से संसद परिसर के भीतर से बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति हटा दी गई। छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति हटा दी? ये मूर्तियां नहीं हैं, ये करोड़ों लोगों के साथ जुड़ी हुई भावनाएं हैं। उन भावनाओं को भाजपा ने आहत किया है। इसका परिणाम आपको लोकसभा के नतीजों में देखने को मिला था। इस साल लोकसभा चुनाव से पहले 400 पार के नारे के बावजूद 240 पर आकर सिमट गए। यह सरकार बैसाखियों के आधार पर चल रही है। आगामी चुनावों मे भाजपा का खाता भी नहीं खुलने वाला है।

दिल्ली के सदर बाजार इलाके में शाही ईदगाह के पास डीडीए की जमीन पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। मूर्ति लगाने के लिए निर्माण कार्य शुक्रवार को नहीं हो सका और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति निर्माण को रोकने की मांग वाली वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी। वक्फ बोर्ड ने इस जमीन पर अपना दावा ठोका था। अब हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के पक्ष में फैसला सुनाकर मूर्ति निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद रानी लक्ष्मीबाई के समर्थकों में खुशी की लहर है। समर्थकों ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे रानी लक्ष्मीबाई की गरिमा को बचाकर उनके सम्मान को बढ़ाया गया है, जिससे हम सभी बेहद खुश हैं।

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