हत्या के आरोपी मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष को 21 वर्ष बाद गिरफ्तार किया, कोलकाता में घेराबंदी कर पकड़ा

दो आरोपी अभी फरार हैं

Update: 2022-02-11 09:10 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिस्ता वेबडेस्क: दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने हत्या के आरोपी मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष को 21 वर्ष बाद गिरफ्तार किया है। आरोपी ने अपने साथियों के साथ मजदूरों की दूसरी यूनियन के अध्यक्ष व एक सुरक्षा गार्ड को भरी बैठक में पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था। अध्यक्ष की अस्पताल में मौत हो गई थी। कोर्ट ने आरोपी उपाध्यक्ष राजकुमार(47) को भगोड़ा घोषित कर दिया था। राजकुमार कोलकाता में छिपकर रह रहा था। 

अपराध शाखा डीसीपी राजेश देव के अनुसार शाखा के स्टार-एक में तैनात इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी को भगोड़ो व हत्या के आरोपी राजकुमार के गातिविधियों के बारे में सूचना मिली थी और ये पता लगा कि वह कोलकाता में छिपा हुआ है। इसके बाद इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी की देखरेख में एसआई सम्राट, कृष्ण कुमार व उदयवीर की टीम गठित की गई।
एसआई कृष्ण कुमार की टीम ने समस्तीपुर, बिहार निवासी राजकुमार(47) को अरविंदो नगर, कोलकाता में घेराबंदी कर आठ फरवरी को गिरफ्तार कर लिया। ये वहां पर ड्राइवर की नौकरी कर रहा था। राजकुमार बिहार से नौकरी की तलाश में दिल्ली आया था। 
इसने वर्ष 1995 में ग्रुप 4 सिक्यूरिटी टास्ट इंडिया प्रा. लि. में बतौर गार्ड नौकरी करना शुरू किया था। यहां पर छह वर्ष नौकरी की। वह मजदूर संघ का उपाध्यक्ष भी था और एमके सिंह अध्यक्ष था। राजकुमार मजदूरों की सैलरी बढ़वाना चहाता था। वहीं मजदूरों की दूसरी यूनियन सीआईटीयू मजदूरों की सैलरी बढ़ाने के पक्ष में नहीं थी।
इस मुद्दे को हल करने को लेकर कंपनी के पदाधिकारियों के साथ दोनों यूनियन की 12 मार्च, 2001 को ओखला में बैठक हुई थी। मीटिंग में राजकुमार, अध्यक्ष एमके सिंह व अन्य ने सीआईटीयू के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह व सुरक्षा गार्ड अनिल की पिटाई कर दी थी।
राजेंद्र की अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने हत्या का मामला दर्जकर उस समय भगवान ठाकुर, अवधेश अैर मो. सलीम को तब गिरफ्तार कर लिया था। तीनों को सजा हो चुकी है। बचे सात आरोपियों को कोर्ट ने एक मार्च, 2002 को भगोड़ा घोषित कर दिया था।
दो आरोपी अभी फरार हैं 
पुलिस ने भगोड़ा घोषित हो चुके शिवाजी पांडेय, एमके सिंह, सुनील कुमार और जयप्रकाश यादव को गिरफ्तार कर लिया था। अब राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। दो आरोपी अभी भी फरार हैं। आरोपी को कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया है और ओखला पुलिस को सूचना दे दी गई है। वारदात के बाद राजकुमार बैंगलुरू गया और वहां वर्ष 2010 तक ड्राइवर की नौकरी की। इसके बाद समस्तीपुर, बिहार चला गया। ये जल्दी-जल्दी पता बदल लेता था। इसने अपनी पहचान छिपाए रखी थी। वर्ष 2011 में ये कोलकाता चला गया था। 
Tags:    

Similar News

-->